कोलकाता। पश्चिम बंगाल में डेंगू के डंक का कहर जारी है। ‘डेंगू शॉक सिंड्रोम’ से लगातार लोगों की जान जा रही है। बंगाल में पिछले 48 घंटों में दो लोगों की मौत डेंगू से हो गई। हर दिन लोग डेंगू से बीमार हो रहे हैं। उत्तर 24 परगना के मध्यमग्राम निवासी एक महिला की मौत डेंगू से हो गई। उनका नाम कावेरी चक्रवर्ती (40) बताया जा है। आरजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल डॉक्टरों ने डेथ सर्टिफिकेट में डेंगू शॉक सिंड्रोम का जिक्र किया है। साथ ही दक्षिण दमदम की एक महिला की भी डेंगू से मौत हो गई। मृतक का नाम शिल्पी साहा (54) है।
दमदम के नागरबाजार स्थित एक नर्सिंग होम में उसकी मौत हो गई। इस तरह बंगाल में डेंगू का आंकड़ा 50 हजार पार हो चुका है। कोलकाता, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली सहित बंगाल के कई जिलों में डेंगू कहर बरपा रहा है। हर दिन नए मामले बढ़ते जा रहे हैं। हाल यह है कि चाहे कोई निजी चिकित्सा केन्द्र हो या सरकारी अस्पताल दोनों ही डेंगू के मरीजों से पटे पड़े हैं। इधर लगातार प्रशासन डेंगू नियंत्रण पर काम कर रहा है।
निजी लैब में भी डेंगू टेस्ट कराने वाले लोगों की कतार लगी है। कावेरी देवी कई दिनों से बुखार से पीड़ित थीं। गुरुवार को जब उनकी हालत बिगड़ी तो उन्हें आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया। ब्लड टेस्ट से पता चला कि वह डेंगू से पीड़ित हैं। शनिवार को महिला की हालत गंभीर हो गई। रविवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक शिल्पी साहा के परिजनों का आरोप है कि शिल्पी के प्लेटलेट्स बहुत कम नहीं हुए थे।
डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही की है। मृतक के परिवार ने नर्सिंग होम के अधिकारियों के खिलाफ इलाज में लापरवाही की शिकायत दर्ज कराई है। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू के मरीज पर प्लेटलेट्स का गिरना निर्भर करता है। किसी के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है तो वह जल्दी ठीक हो सकता है।
वहीं डॉक्टरों का कहना है कि आपका प्लेटलेट्स सुबह के वक्त 60 से 70 हजार तक पहुंच जाता है,लेकिन शाम होते-होते वह फिर लाख से ऊपर पहुंच जाता है। डेंगू हमेशा एलाइजा टेस्ट करानी चाहिए और अगर प्लेटलेट्स 10 हजार के करीब या उसके नीचे पहुंच रहा है,तभी किसी मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।