श्रीराम पुकार शर्मा, कोलकाता। ‘अगस्त’ का महीना भारत और भारतीयों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण महीना रहा है। यह एक ऐतिहासिक महीना है। १ अगस्त, १९२० को महात्मा गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ ‘असहयोग आंदोलन’ प्रारंभ किया था। ८ अगस्त, १९४२ को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का शंखनाद किया गया था और फिर १५ अगस्त, १९४७ को हमें अपनी आजादी प्राप्त हुई थी। फलतः ‘अगस्त’ महीना हम भारतीयों के रग-रग में कुछ इस तरह से रच और बस गया है, कि इस महीने में हम सभी भारतीय लगभग अपनी समस्त विभेदताओं को भूलकर उससे ऊपर उठकर राष्ट्रीयता के सबल सूत्र में बद्ध जाते हैं। इस महीने में राष्ट्रीयता हमारे सिर पर चढ़कर बोलने लगती है। देश के कोने-कोने में देशभक्ति की प्रबल बयार बहने लगती है, जिसमें छोटे-बड़े सभी विद्यालयों से लेकर गली-मुहल्लों के क्लबों-संगठनों, क्षुद्र और वृहत सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं आदि में देशभक्ति गीतों-गानों के बोल सुनाई देने लगते हैं। सम्पूर्ण देश ही ‘तिरंगा’ के रंग में में सजने-धजने लगता है। अर्थात, ‘अगस्त’ माह हम भारतीय के लिए ‘राष्ट्रीय पर्व’ का महीना है।
आप सभी को विदित ही है कि देश के लाखों स्वतंत्रता प्रेमियों और रणबांकुरों के ‘लिये बिना गर्दन का मोल’ मौन-मुक शहादत और बलिदान के उपरांत ही १५ अगस्त, १९४७ को हमारे देश से गुलामी का अंधकर आजादी की स्वर्णिम किरणों से दूर हुआ है। चुकी यह विश्व की प्रसिद्ध घटनाओं में से एक प्रमुख घटना है, जो अगस्त महीने घटी थी। तो फिर भला ‘अगस्त’ महीना हम भारतवासियों के लिए राष्ट्रीय खुशियों का माह क्यों न हो?
विगत वर्ष से ही अपनी आजादी के ७५ साल पूरे होने की खुशी में हम सभी भारतीय पूरे उत्साह के साथ देश व्यापी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, जिसके अंतर्गत देशव्यापी देश-भक्ति और राष्ट्रोन्नति संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों को संपादित किया जा रहा है और इसके माध्यम से हम अपने वीर स्वतंत्रता सेनानियों तथा रणबांकुरों को स्मरण और नमन कर रहे हैं। आजादी के उपरांत अपने देश और देशविसियों की उपलब्धियों को स्मरण कर हम गौरवान्वित भी हो रहे हैं और इसके साथ ही साथ हम अपनी भावी पीढ़ी को भी देश-प्रेम का समुचित पाठ पढ़ाने जैसे वृहद संस्कारी कार्य भी रहे हैं।
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर में करीब दो लाख से भी अधिक राष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है । यह कार्यक्रम एक से बढ़कर एक विविध रंगों-साजों से सुसज्जित प्रदेशानुकूल विविधता से भले ही भरे रहें, परंतु सब के सब राष्ट्रीयता के रंग में रंगे हुए रहे हैं। इस विशेष कार्यक्रम के दौरान हमारी युवा पीढ़ी को देश की महान विभूतियों, महान सभ्यताओं, महान संस्कारों और विशद इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानने के अवसर भी प्राप्त हुए हैं।
इस वर्ष भी १५ अगस्त को देश व्यापी एक और वृहत राष्ट्रीय उत्सव की शुरुआत करने की योजना है। वह विराट राष्ट्रीय उत्सव है ‘मेरी माटी, मेरा देश’ कार्यक्रम। यह विशेष कार्यक्रम विगत ७५ सप्ताह से चलते आ रहे वृहत राष्ट्रीय पर्व ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के समापन समारोह स्वरूप संपादित होगा, जो आगामी २९-३० अगस्त, २०२३ को नई दिल्ली के ‘कर्तव्य पथ’ पर ‘राष्ट्रीय समर संग्रहालय’ के ही निकट एक ‘अमृत वाटिका’ के निर्माण स्वरूप सम्पन्न होगा। यह विराट राष्ट्रीय कार्यक्रम देश की स्वतंत्रता और विकास की यात्रा की याद को भारतीय जन के हृदय में स्थापित करने तथा वीरता के चिरन्तन भाव को स्फूर्ति कराने की भावभूमि को अपने में समेटे हुए एक विराट राष्ट्रीय अभियान की परिकल्पना है। हालकी ‘मेरी माटी, मेरा देश’ कार्यक्रम पूरे देश भर में आगामी ९ अगस्त से ३० अगस्त तक अपने विविध कार्यक्रमों के अनुरूप अनवरत चलता ही रहेगा।
‘मेरी माटी, मेरा देश’ कार्यक्रम का शुभारंभ ‘वसुधा वंदन’ से होते हुए ‘अमृत कलश यात्रा’ के रूप में आगे बढ़ेगा और ‘अमृत वाटिका’ निर्माण की व्यापक परिकल्पना के साथ पूर्ण होगा, जिसे देश हित के लिए शहीद हुए देश-भर के तमाम अमर बलिदानियों को समर्पित किया जाएगा । वास्तव में ‘अमृत वाटिका’ निर्माण कार्यक्रम के साथ ही ७५ सप्ताह से चलते आ रहे राष्ट्रीय पर्व ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का समापन परिकल्पना ही है।
इसमें ‘वसुधा वंदन’ का आयोजन किसी सरोवर या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर किया जाएगा, जिसके अंतर्गत हर ग्राम पंचायत, ब्लाक स्तर पर स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों, थल सेना, वायु सेना, जल सेना तथा केन्द्रीय व राज्य पुलिस के सेवारत एवं सेवानिवृत्ति रक्षाकर्मी, जो देश सेवा के दौरान शहीद हो गये हों, उनकी स्मृति में उनके नाम के एक-एक विशेष शिलाफलकम् (शिलालेख) हर ग्राम पंचायत या ब्लॉक में स्थापित कर उन्हें नमन किया जाएगा। शहीदों के स्मरण में हर ग्राम पंचायत में अलग-अलग किस्म के ७५ पौधों का रोपण किया जाएगा । इस अवसर पर उनके परिजनों को भी सम्मानित किया जाएगा।
इस विराट उद्देश्य की पूर्ति हेतु आगामी १६ से २० अगस्त, २०२३ तक देश भर में स्वंसेवक ब्लाक स्तर पर जाकर गाँव-गाँव से शहीद वीर-वीरांगनाओं के पावन स्थल से एक-एक मुट्ठी भर पवित्र मिट्टी को संग्रह कर पहले तो उसे पंचायत परिसर में सम्मानित एक कलश में संग्रहीत किया जाएगा। तत्पश्चात उसे राज्य की राजधानी में सादर लाया जाएगा। फिर देश के विभिन्न भागों से शहीद वीर-वीरांगनाओं की पावन मिट्टी युक्त कलश को लेकर सर्व सम्मानित ‘अमृत कलश यात्रा’ निकली जाएगी। उसके साथ ही देश के विभिन्न भागों से एक-एक विशेष पौधों को भी संग्रहीत किया जाएगा। अंततः वे सभी लगभग ७५०० कलश व विशेष पौधे सुसज्जित वाहनों से २९-३० अगस्त, २०२३ को देश की राजधानी दिल्ली में पहुँचेगे।
उन ७५०० कलशों में लाई गई शहीद वीर-वीरांगनाओं की ‘पवित्र मिट्टी’ और ‘पौधों’ को मिलाकर दिल्ली के ‘कर्तव्य-पथ’ के पार्श्व में स्थित ‘राष्ट्रीय समर स्मारक’ के निकट ही २९ -३० अगस्त, २३ को एक पावन ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण किया जाएगा, जो देश हित के लिए शहीद हुए देश-भर के अमर बलिदानियों को समर्पित किया जाएगा। ‘अमृत वाटिका’ में पौधारोपण के दौरान जन प्रतिनिधि, सेवानिवृत सैनिक अधिकारी, पुलिस के जवान, समाजसेवी संगठन, पत्रकार, विद्यालय परिवार एवं छात्र छात्राओं की व्यापक सहभागिता को निश्चित की जाएगी। इस कार्यक्रम में स्वयं प्रधान मंत्री समेत कई मुख्य लोगों की उपस्थित रहने की भी संभावना है। वह ‘पावन अमृत वाटिका’ हमारी स्वतंत्रता, एकता और अखड़ता में योगदान देने वाले वीर नायकों को समर्पित ‘आजादी का अमृत महोत्सव स्मारक’ के रूप में होगा, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का एक भव्य प्रतीक बनेगा।
पिछले वर्ष ही हमारे समादृत यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किला के प्राचीर से ही अगले २५ वर्षों के ‘अमृतकाल’ के लिए देश के लोगों से एक विकसित राष्ट्र के लिए ‘पंच प्राण’ (पाँच प्रतिज्ञा) लेने का और २०४७ में भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य रखा था। इन ‘पंच प्राण’ में – विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता- एकजुटता और नागरिक कर्त्तव्य शामिल हैं। ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान के तहत ‘वसुधा वंदना’, ‘अमृत कलश यात्रा’ और ‘अमृत वाटिका निर्माण’ के अवसर पर देशवासी अपने हाथ में वीर स्वतंत्रता सेनानियों तथा वीर-वीरांगनाओं की पवित्र मिट्टी को अपने हाथ में लेकर इन ‘पंच प्राण’ का शपथ भी लेंगे। पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के लिए जैसे पूरा देश एक साथ आगे बढ़ा था, वैसे ही इस बार भी फिर से, हर घर तिरंगा फहराना है, और इस परंपरा को लगातार आगे भी बढ़ाना है।
इसके साथ ही गाँव में पंचायत सहायकों, ग्राम सचिवों और तकनीकी सहायकों की सहायता से विशेष समिति गठन कर सभी पंचायतों के खाली पड़े स्थानों पर वृहद पैमाने में पौधेरोपन कर ‘अमृत वाटिका’ तथा मौजूद तालब-पोखरे-जलाशयों की सफाई कर ‘अमृत सरोवर’ के कार्य को भी पूर्ण करने की योजना है। देश के हर जिले में कम से कम ७५ अमृत सरोवरों का निर्माण या फिर कायाकल्प अवश्य ही किया जाएगा। उसके चारों ओर नीम, पीपल, बरगद आदि के वृक्ष लगाए जाएंगे । ग्राम तथा नगरों के रिक्त स्थानों पर पीपल, बरगद, पाकड़ एंव छायादार पौधा लगाये जाने की योजना है, जो बढ़ती प्रदूषण और ताप को कम करेंगे । प्रत्येक ‘अमृत सरोवर’ सिंचाई के साथ ही मछली पालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती, जल पर्यटन तथा अन्य मानवीय गतिविधियों संबंधित आजीविका सृजन के स्रोत बनेंगे। ‘अमृत सरोवर’ उस इलाके में एक सामाजिक मिलन स्थल के रूप में भी विकसित होंगे।
राष्ट्र व्यापी इन सभी महोत्सव का उद्देश्य देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावन को जागृत करना ही है। अतः एक दिन या एक सप्ताह या एक महीने या फिर एक वर्ष का वह महोत्सव न केवल मात्र उस काल तक ही सीमित रहे, बल्कि वह हमारे संस्कार में समाहित होकर सर्वदा के लिए अपना बनकर रह जाए। आवश्यकता है कि हम न केवल अपनी विरासत को अंगीकार मात्र ही करें, बल्कि उसे जिम्मेदारी से साथ पूर्णता प्रदान कर विश्व के समक्ष एक उदात्त उदाहरण भी प्रस्तुत करें, तभी देश के सर्वांगीण विकास के लिए चिंतित हमारे प्रधान मंत्री सहित हमारे देश का परम उद्देश्य पूर्ण होगा।
श्रीराम पुकार शर्मा
लेखक व आलेखकार, अध्यापक,
श्री जैन विद्यालय, (हावड़ा)
ई-मेल सूत्र – rampukar17@gmail.com