कोरोना काल में भारत में विकसित दुनिया का पहला वायरस अटेन्यूएशन डिवाइस की मांग बढ़ी

कोलकाता (Kolkata) : जाने-माने भारतीय वैज्ञानिक डॉ. राजाह विजय कुमार ने इस डिवाइस का आविष्कार किया है जिसे घर जैसी बंद वैसी जगहों में कोरोनावायरस और इन्फ्लुएंजा वायरस फैमिली को निष्क्रिय करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी पाया गया है जिनसे संचरण का उच्चतम जोखिम रहता है।

• शायकोकैन का वैज्ञानिक रूप से सतहों पर वायरल कणों (एमएस2 फेज) को 99.99% कम करने / निष्प्रभावी करने  और वायु (एवियन कोरोनावायरस) में 100% कम करने / निष्प्रभावी करने का साक्ष्य उपलब्ध है।
• शायकोकैन इन वायरस के सभी वर्तमान और भविष्य के वेरिएंट और म्यूटेंट पर भी काम करता है।
• इस उपकरण का कोलकाता में संस्थागत खरीदारों के द्वारा काफी मांग की जा रही है। शहर में पहले से ही कई डिवाइस इंस्टाल किये जा चुके हैं।

जाने-माने भारतीय वैज्ञानिक और आविष्कारक डॉ. राजाह विजय कुमार द्वारा विकसित अपनी तरह का एकमात्र वायरस अटेन्यूएशन डिवाइस बंद जगहों‚ स्कूलों, कॉलेजों और घरों में कोरोनावायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने में मदद कर रहा है और अस्पतालों, होटलों, कार्यालयों, रेस्तराओं, ऑडिटोरियम, परिवहन, खुदरा और हवाई अड्डे जैसे व्यवसाय वापस पटरी पर आ रहे हैं और अपने घरेलू और बाहरी ग्राहकों को सुरक्षित वातावरण में सेवा दे रहे हैं।

शायकोकैन कारर्पोरेशन के अनुसार, कोलकाता में इस अनोखे उपकरण की काफी मांग है, और दर्जनों व्यवसाय और संस्थान इसमें रुचि दिखा रहे हैं। शहर में पहले से ही कइ शायकोकैन डिवाइस लगाए गए हैं और संस्थागत खरीदारों से काफी इंक्वायरी आ रही है जो अपने ग्राहकों, कर्मचारियों और आगंतुकों को महामारी के समय में अपने परिसर में कोरोनावायरस के संचरण से बचाना चाहते हैं। शायकोकैन कारपोरेशन द्वारा निर्मित इस बेलनाकार उपकरण को शायकोकैन (स्केलेन हाइपरचार्ज कोरोना कैनन) कहा जाता है। इसे न केवल निमोनिया‚ एआरडीएस‚ सार्स‚ मर्स‚ कोविड–19 और अन्य कोरोनावायरस-प्रेरित रोग जैसे रोग पैदा करने वाले कोरोनोवायरस परिवार‚ बल्कि वार्षिक मौसमी फ्लू और स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसी महामारी को ट्रिगर करने वाले इन्फ्लुएंजा परिवार के प्रसार से इनडोर स्थानों को सुरक्षित रखने में प्रभावी पाया गया है। उल्लेखनीय रूप से, शायकोकैन इन वायरस के सभी वर्तमान और भविष्य के वेरिएंट और म्यूटेंट पर काम करता है, लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करता है और लाखों घंटों की उत्पादकता को नष्ट होने से बचाता है।

शायकोकैन कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आलोक शर्मा ने कहा, “दुनिया भर में मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं से प्राप्त विभिन्न वायरोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, शायकोकैन को इनडोर स्थानों में कोरोनोवायरस और इन्फ्लुएंजा वायरस परिवारों को निष्क्रिय करने में 99.994% प्रभावी पाया गया है। मनुष्यों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। यह डिवाइस किसी भी अन्य बैक्टीरिया या कवक को प्रभावित नहीं करता है, इस प्रकार यह  पर्यावरण में रोगाणुओं का संतुलन बनाए रखता है। भारत, अमेरिका और यूरोप, एशिया प्रशांत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कई देशों में शायकोकैन डिवाइस का पहले से ही उपयोग किया जा रहा है। हम इस अभिनव मेड-इन-इंडिया डिवाइस को कई अन्य देशों में भी पेश कर रहे हैं। भारत और विदेश दोनों में संस्थागत खरीदारों के द्वारा इसकी काफी मांग है।

कोलकाता हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाजार है, और हम इस साल शहर में कई हजार शायकोकैन डिवाइस को बेचने की उम्मीद करते हैं। इसे इंस्टाल करने पर यह बंद जगहों के अंदर पूरे कोरोनावायरस परिवार और वायरस के इन्फ्लुएंजा परिवार के प्रसार से लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।’’ शायकोकैन उस प्रक्रिया को बाधित करके कोरोनावायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को रोकता है जिसके द्वारा वे मनुष्यों और जानवरों पर हमला करते हैं। मानव कोशिका झिल्ली में एक निगेटिव मेम्ब्रेन पोटेंशियल होता है जबकि कोरोनावायरस एक पॉजिटिव चार्ज वायरस है, जिसका एस-प्रोटीन मनुष्य की कोशिका से जुड़ता है और खुद में वृद्धि करने के लिए फोटोकॉपी मशीन की तरह अपने कोशिकीय तंत्र का उपयोग करता है। शायकोकैन इसके पॉजिटिव चार्ज को बेअसर करके और मेजबान कोशिका में खुद को संलग्न करने की कोरोनावायरस कणों की क्षमता को अक्षम करके काम करता है।

शायकोकैन के आविष्कारक और ऑर्गनाइजेशन डी स्केलेन के ग्लोबल चेयरमैन डॉ राजाह विजय कुमार ने एक दशक के शोध के बाद सुपर अलॉय से बना एक विशेष उपकरण विकसित किया, जो उत्साहित होने पर उच्च तीव्रता के फोटॉन का उत्पादन करता है। किसी भी स्थान पर ठोस सतहों जैसे कि हवा में कण, टेबल‚ कुर्सियां, दीवारें आदि पर प्रहार करने पर, ये फोटॉन इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करते हैं। इलेक्ट्रॉन कोरोनावायरस और इन्फ्लुएंजा परिवारों के वायरस के खोल पर पॉजिटिव प्रोटीन के साथ जुड़ जाते हैं, इसके पॉजिटिव चार्ज को बेअसर करते हैं और अन्य लोगों को संक्रमित करने से रोकते हैं। शायकोकैन की उपस्थिति में, पहले से संक्रमित सतह को छूने वाला कोई भी व्यक्ति वायरस के संपर्क में नहीं आयेगा, क्योंकि यह वायरस को निष्क्रिय कर चुका होता है। शायकोकैन डिवाइस कहीं अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। सुपर-अलॉय, जो फोटॉन उत्पन्न करता है, खराब नहीं होता है, जिसके कारण शायकोकैन का लंबा जीवन काल होता है और इसके लिए न्यूनतम सर्विसिंग की आवश्यकता होती है और किसी भी उपभोग्य सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती है।

विश्व स्तर पर 30 से अधिक आविष्कार करने वाले डॉ राजाह विजय कुमार ने कहा, “कोरोनावायरस-प्रकार के प्रकोप तेजी से रुक-रुक कर हो रहे हैं। कोरोनोवायरस परिवार पिछले 17 वर्षों में लगातार उत्परिवर्तन के साथ अधिक संक्रामक और घातक हो गया है, जो शायकोकैन जैसे उपकरण के महत्व को रेखांकित करता है। इस वायरस की सबसे बड़ी चुनौती इसकी संक्रामकता या उग्रता है। संक्रामकता की श्रृंखला को तोड़ने के लिए इनडोर वातावरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि ऐसे वातावरण में संचरण का उच्चतम जोखिम रहता है।” उन्होंने कहा, “2017 में, बेंगलुरु में हमारे परिसर में मौसमी फ्लू की कई घटनाएं हुईं, जिसने मुझे उस डिवाइस को डिजाइन करने, बनाने और इंस्टाल करने के लिए मजबूर किया, जिसे बाद में शायकोकैन नाम दिया गया। एक साल बाद, परिसर से मौसमी फ्लू के मामले लगभग पूरी तरह से खत्म हो गए। जब कोविड-19 महामारी हुई, तो डिवाइस को वैश्विक प्रयोगशालाओं में परीक्षण और विनियामक अनुपालन के लिए भेजा गया और इसे कोरोनावायरस के खिलाफ समान रूप से प्रभावी पाया गया। हमें यह जानकर काफी खुशी हुई कि हमने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले इस तरह के संकट की संभावना की कल्पना करने से पहले ही कोरोनावायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए दुनिया की सबसे पहली तकनीक बना ली थी।”

शायकोकैन एक अच्छी तरह से निर्मित उपकरण है जो प्रभावी और सुरक्षित है और जिसका पूरी तरह से परीक्षण किया गया है। यह न तो विकिरण का उपयोग करता है, न ही विकिरण, रसायन, ओजोन या किसी भी सामग्री का उत्सर्जन करता है जो मनुष्यों या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। यह एक ऐसा डिवाइस है जिसे माउंट किया जाता है, तो इसका 1,000 वर्ग फीट (या 10,000 घन फीट) का प्रभावी कवरेज क्षेत्र होता है। बड़े इनडोर स्थान को कवर करने के लिए कई डिवाइस लगाए जा सकते हैं। शायकोकैन का अस्पतालों, क्लीनिकों, स्कूलों, उच्च शिक्षा संस्थानों, बैंकिंग क्षेत्र, विनिर्माण और खुदरा दुकानों, आतिथ्य क्षेत्र, सरकारी कार्यालयों, रियल एस्टेट निगमों और व्यवसायों जैसे बाजार क्षेत्रों में व्यापक उपयोग है।
शायकोकैन कारपोरेशन के बारे में: शायकोकेयर टेक्नोलॉजीज (इंडिया) विनिर्माण, बिक्री, विपणन, वितरण और सेवाओं के लिए शायकोकैन डिवाइस (स्केलेन हाइपरचार्ज कोरोना कैनन) के वैश्विक लाइसेंसकर्ता, शायकोकैन कारपोरेशन का एक भाग है। शायकोकैन दुनिया का पहला वायरस एटन्यूशन डिवाइस है, जो मनुष्यों और पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित रहते हुए वायरस के पूरे कोरोनावायरस और इन्फ्लुएंजा परिवारों को निष्क्रिय कर सकता है और कई वायरोलॉजी लैब टेस्ट रिपोर्ट में यह साबित हुआ है।

शायकोकैन का वैज्ञानिक रूप से सतहों पर वायरल कणों (एमएस2 फेज) को  99.99% कम करने / निष्प्रभावी करने  और वायु (एवियन कोरोनावायरस) में 100% कम करने / निष्प्रभावी करने का साक्ष्य उपलब्ध है। यह अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, यूएई, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों की नियामक आवश्यकताओं के अनुरूप है।
शायकोकैन कॉर्पोरेशन की स्थापना ऐप्पल इंडिया के पूर्व एमडी श्री आलोक शर्मा के नेतृत्व में ब्लू-चिप प्रौद्योगिकी और उद्योग पेशेवरों की एक टीम ने की है। डॉ राजाह विजय कुमार, शायकोकैन डिवाइस के वैज्ञानिक-आविष्कारक हैं और उन्होंने वैश्विक स्तर पर 30 से अधिक आविष्कार किए हैं।

कंपनी का तात्कालिक लक्ष्य इनडोर वातावरण को वर्तमान और भविष्य में कोरोनोवायरस और इन्फ्लुएंजा वायरस के संचरण के जोखिमों से मुक्त रखना है ताकि संगठनों को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने और जीवन को सामान्य बनाने में मदद मिल सके। कंपनी अनुकूलित परामर्श, एक साल की रिप्लेसमेंट वारंटी, वैश्विक समर्थन और 1000 से अधिक इंजीनियरों और पोस्ट–इंस्टालेशन ऑडिट के साथ भारत में 150 से अधिक शहरों में सर्विस नेटवर्क जैसी सेवाओं से लैस है। कंपनी के टार्गेट कस्टमर सेगमेंट में अस्पताल, क्लीनिक, स्कूल, उच्च शिक्षा, बैंकिंग, विनिर्माण, खुदरा, आतिथ्य, मनोरंजन, फिटनेस, सरकारी कार्यालय, रियल एस्टेट, अन्य व्यवसाय और घर शामिल हैं।

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