Demand for reconsideration in Hetal Parekh rape-murder case after 20 years

20 साल बाद हेतल पारेख रेप-हत्याकांड मामले में पुनर्विचार की मांग

  • सार्वजनिक पत्र संग्रह करने में जुटे लोग
  • धनंजय चटर्जी को निर्दोष बताते हुए बांकुड़ा में प्रदर्शन

खड़गपुर ब्यूरो: धनंजय चटर्जी केस रिट्रियल मंच के की ओर से जंगल महल के बांकुड़ा के बारू चंडीदास के आराध्य देवी मां बंशुली मंदिर के सदस्यों ने रविवार को देवी मां की पूजा कर धनंजय चटर्जी, हेतल पारेख और बांग्लादेश के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की गई। मंच के संयोजक डॉ. चंद्रचूड़ गोस्वामी ने कहा कि लोगों का विश्वास और तथ्य यह साबित करते हैं कि धनंजय चटर्जी निर्दोष थे।

एक गरीब पुजारी परिवार के बेटे धनंजय चट्टोपाध्याय को असली अपराधी को छुपाने के लिए फाँसी दे दी गई। नतीजा यह हुआ कि धनंजय की आत्मा को न्याय नहीं मिला। असली अपराधी को छुपाने के लिए हेतल पारेख की आत्मा को भी न्याय नहीं मिला।

इतना ही नहीं, अगर धनंजय चटर्जी असली अपराधी नहीं हैं, तो उन्हे फांसी देकर सिस्टम ने उनकी हत्या की है I

उस समय अदालत के बाहर एक और अदालत स्थापित करके, झूठे प्रचार के माध्यम से सार्वजनिक उन्माद पैदा करके, धनंजय को फांसी की सजा सुनिश्चित की गई थी। हमारा मानना ​​है कि उस दिन के दुर्भाग्यशाली धनंजय और आज बांग्लादेश में नरभक्षियों द्वारा मारे गए दुर्भाग्यपूर्ण हिंदू और उदारवादी मुसलमान, सभी न्याय के नाम पर प्रहसन के शिकार हैं।

दरअसल, हमारे मंच का उद्देश्य मुख्य रूप से धनंजय चटर्जी जैसे लोगों, उनके परिवार और बांकुड़ा क्षेत्र के लोगों को कलंक मुक्त करना है। लेकिन हमारा बड़ा लक्ष्य एक दोषरहित न्याय प्रणाली और अपराध मुक्त समाज की स्थापना करना है। मंच के सह संयोजक समाजसेवी जीवन चक्रवर्ती ने कहा कि उस समय हमने नागरिक समिति के लिए काफी प्रयास किया लेकिन उस वक्त सीपीएम सरकार ने हमें कोलकाता में घुसने नहीं दिया।

Demand for reconsideration in Hetal Parekh rape-murder case after 20 years

आज हम इस न्याय मंच के माध्यम से धनंजय और दुनिया के सभी पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से फिर से एकजुट हुए हैं।

मंच के कानूनी सलाहकार एडवोकेट दिनेश पाणि ने कहा कि हम न्यायिक व्यवस्था को चुनौती देने के लिए दोबारा सुनवाई की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में किसी को मौत की सजा देने से पहले कानूनी व्यवस्था पूरी तरह से दोषरहित हो।

अनामिका मंडल ने कहा कि उन दिनों के धनंजय की तरह आज भी बांग्लादेश में हर दिन मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। हमारा प्लेटफॉर्म उन लोगों के लिए भी निःशुल्क काम कर रहा है।

आज मंच की ओर से कार्तिक माइति, दुर्गादास चटर्जी, अनिल वरण घोष, भगवती प्रसाद बाजोरिया, प्रमोद सीट और अशोक बिद जैसे नेताओं ने अपनी बात रखी। बता दें कि 20 साल पहले फांसी की सजा पाए धनंजय चटर्जी बांकुड़ा जिला अंतर्गत छातना गाँव के कुलडिही गांव के रहने वाले थे।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 − 1 =