New Delhi: दिल्ली विश्वविद्यालय में 100 फीसदी और उसके आसपास कटऑफ रहने के बावजूद कुल 70 हजार सीटों में से करीब 60 फीसदी सीटों पर दाखिले पूरे हो चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए दूसरे चरण के दाखिले का अंतिम दिन है। यह दाखिला प्रक्रिया 13 अक्टूबर मध्य रात्रि को समाप्त हो रही है। विश्वविद्यालय अब तक मिले आवेदनों के आधार पर 14 अक्टूबर तक छात्रों के आवेदन को मंजूरी देगा। इन आवेदनों के लिए 15 अक्टूबर तक फीस जमा की जा सकती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की पहली कट ऑफ लिस्ट में विभिन्न कॉलेजों के कई पाठ्यक्रमों के लिए 100 फीसदी कट ऑफ लिस्ट गई थी। दूसरी कटऑफ लिस्ट में भी कोई खास अंतर नहीं आया है। विभिन्न कॉलेजों में कटऑफ को लेकर औसतन 0.25 फीसदी से लेकर 3 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। यहीं नहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में तो दूसरी कट ऑफ लिस्ट में भी 100 फीसदी ही कटऑफ है।
बावजूद इसके अभी तक दिल्ली विश्वविद्यालय की सेकंड कट ऑफ लिस्ट के आधार पर 30,000 से अधिक छात्र आवेदन कर चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय को इन आवेदनों के आधार पर 14 अक्टूबर तक योग्य उम्मीदवारों का दाखिला मंजूर करना है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजस्थान विकास गुप्ता के मुताबिक पहली कट ऑफ के बाद 60,904 उम्मीदवारों ने विभिन्न कॉलेजों में आवेदन किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिला समिति का कहना है कि पहली कट ऑफ के आधार पर 37 हजार से अधिक छात्रों को दाखिला मिला है।
दूसरे चरण की दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की तीसरी कटऑफ 16 अक्टूबर को जारी की जाएगी। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की स्पेशल कटऑफ 25 अक्टूबर को आएगी।
उधर देश के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए 1 जुलाई 2023 से पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी। तब तक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में पीएचडी की अनिवार्यता से राहत प्रदान की गई है। यूजीसी ने मंगलवार शाम यह अहम निर्णय लिया है। इस संदर्भ में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में पीएचडी की अनिवार्यता लागू कर दी थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए पीएचडी के अनिवार्य खंड को जून 2023 तक दो साल के लिए टाल दिया है। विश्वविद्यालय विभागों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों के लिए यह एक बड़ी राहत है। समय पर हस्तक्षेप और अनुपालन के रूप में डूटा की एक बड़ी जीत है। हमने यूजीसी को इस मांग को मानने के लिए मजबूर कर दिया। डूटा ने पहले 14 अगस्त को यूजीसी के सामने इस मुद्दे को उठाया और फिर 15 सितंबर को यूजीसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी।