
सैकड़ों की संख्या में लोगों ने लखनऊ समकालीन भारतीय कला मेला – 25 का किया अवलोकन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों प्रदेश में पहली बार समकालीन कला की एक वृहद स्तर पर 38 कलाकारों के कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। फरवरी के प्रथम सप्ताह में नगर की प्रतिष्ठित फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी द्वारा फीनिक्स प्लासियो में इस फेयर को भव्य रूप में शुभारंभ किया गया था। जिसमें देश के अलग अलग हिस्सों से कलाकार, क्यूरेटर, समीक्षक कला संग्राहक के साथ बड़ी संख्या में कलाप्रेमियों की उपस्थिति हुई। तब से लगातार लखनऊ ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों से कलाकार और कलाप्रेमियों सैकड़ों की संख्या में इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया और लगातार कर भी रहे हैं। इस प्रकार पहली बार लखनऊ में कलाप्रेमियों की उपस्थिति को देखते हुए इस प्रदर्शनी को आगामी 28 फरवरी तक बढ़ाया जा रहा है।
देश के अनेकों कलाकारों और कला समीक्षकों ने इस प्रदेश की राजधानी में पहली बार इस वृहद प्रदर्शनी पर बेहतर विचार प्रस्तुत किए हैं इसी कड़ी में नगर के वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल कहते हैं कि एक अर्से से लखनऊ के कलाजगत में खालीपन का एहसास हो रहा था। लग रहा था कि आधुनिक कला परिदृश्य की दिशा ही बदल गई है। किन्तु इन दिनों स्थानीय फीनिक्स प्लासियो में चल रहे “लखनऊ कन्टमपोरेरी इन्डियन आर्ट फेयर – 2025 के सफल आयोजन से एक आशा बंधी है।
ऐसा प्रतीत होने लगा है कि कभी संस्थाओं में बँधी कला अब खुली हवा में सांस लेने लगी है। स्थानीय कला प्रमोटर और फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की संस्थापक निदेशक नेहा सिंह और उनके सहयोगी दल क्रमशः क्यूरेटर भूपेन्द्र कुमार अस्थाना, गोपाल सामंत्री और राजेश कुमार के अथक प्रयास का प्रतिफल इस आर्ट फेयर को एक पहल की संज्ञा दिया जाना अतिश्योक्ती नहीं होगी।
वास्तव में देखा जाये तो एक माॅल की तड़क भड़क और भीड़ भाड़ वाले वातावरण में कलाकृतियों का प्रदर्शन एक जटिल कार्य है किन्तु आयोजकों की सूझबूझ ने एक अलग स्पेस की संरचना कर कला के प्रदर्शन को सहज कर दिया। आमतौर से कलाकृतियों का प्रदर्शन करना कला दीर्घाओं के विशेष रूप से सृजित वातावरण में ही उपयुक्त होता है किन्तु इन दीर्घाओं में केवल एक विशिष्ट वर्ग ही पहुँचता है।
माॅल एक ऐसा स्थान है जहाँ हर वर्ग के लोगों का आवागमन लगा रहता है। ऐसे स्थान पर कला को आम आदमी से जोड़ना आसान होता है। संम्भवतः आयोजकों का भी यही आशय रहा है l उनका प्रयास अपनी गतिविधियों को केवल अभिजात्य वर्ग तक सीमित न रख कर हर स्तर पर सामयिक कला और कलाकारों को जोड़ना तो है ही साथ ही कला के व्यावसायिक पक्ष को बढ़ावा देना भी है।
लखनऊ समकालीन भारतीय कला उत्सव ‘ 25 में विभिन्न प्रांतो का प्रतिनिधित्व करती समकालीन कलाकृतियों के प्रदर्शन के साथ दर्शकों की जिज्ञासा पूर्ति के लिए विशेषज्ञों की उपस्थिति ने आयोजन की सार्थकता को बढ़ावा तो मिला ही साथ ही समसामयिक कला पर आयोजित व्याख्यान और वाद विवाद के कुछ सत्रों ने कला प्रेमियों को बड़ा आकर्षित किया।
मेरे विचार से इस प्रकार के आयोजन कम से कम वर्ष में एक बार तो होने ही चाहिए। इस आयोजन को एक सुंदर और सफल पहल की संज्ञा दी जा सकती है किन्तु इसके विस्तार की असीम संभावनाओं को भी नकारा नहीं जा सकता। क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना और राजेश कुमार ने बताया कि प्रदर्शनी का अवलोकन 28 फरवरी 2025 तक प्रातः 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया जा सकता है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।