महिलाओं के साथ दरिंदगी – 140 करोड़ देशवासियों के लिए शर्मिंदगी

संवैधानिक लोकतंत्र में महिलाओं के साथ शर्मसार दरिंदगी अस्वीकार है
महिलाओं के साथ हुई शर्मसार दरिदंगी पर संवैधानिक संस्थाओं, पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा स्वतःसंज्ञान लेकर कार्यवाही को देशवासियों नें रेखांकित किया है – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सार्वजनिक जनसंख्या वाला देश जहां 140 करोड़ से अधिक निवासी हैं, वहां एक राज्य में 4 मई 2023 को दो महिलाओं के साथ शर्मसार दरिंदगी हुई। जिसका वीडियो वायरल 20 जुलाई 2023 को सोशल मीडिया पर हवा से भी तेज गति से वायरल हुआ। जिसमें मणिपुर से लेकर दिल्ली और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूरा देश सन्न रह गया। क्योंकि सबसे ताज्जुब की बात थी कि 4 मई 2023 की घटना हुई, 18 मई को शिकायत दर्ज हुई तथा 49 दिन बाद 21 जून को एफआईआर और फिर 78 दिन बाद 20 जुलाई 2023 को वीडियो वायरल होने पर चार आरोपियों की गिरफ्तारी से पूरा देश क्रोध में है। परंतु एक राहत की बात यह हुई कि 20 जुलाई 2023 को करीब-करीब भारत का पूरा संवैधानिक पदों पर बैठा महकमा एक्शन में आ गया।

जिसमें पीएम से लेकर सीजेआई तक और राज्यपाल से लेकर महिला आयोग तक ने स्वतः संज्ञान लेकर तीव्रता से कड़ी कार्रवाई करने की बात कही। जिसे सारे देशवासियों ने रेखांकित किया। क्योंकि यह मामला महिलाओं के साथ दरिंदगी-140 करोड़ देशवासियों के लिए शर्मिंदगी का था। चूंकि भारत देश में संवैधानिक लोकतंत्र ढांचा बना हुआ है, जहां ऐसी किसी भी प्रकार की दरिंदगी अस्वीकार्य है। वैसे भी भारत में महिलाओं को देवी तुल्य का दर्जा दिया गया है। अब आम जनता जनार्दन की नजरें लगी हुई है कि कितनी जल्द न्याय मिलता है या फिर मामला जांच एजेंसियों से लेकर अदालतों में पेशियों तक आ जाता है।हालांकि माननीय सीजेआई ने इसकी सुनवाई की तारीख 28 जुलाई निर्धारित कर दी है। पीएम ने कड़े तेवरों में दोषियों को नहीं बख्शने की बात कही। वहीं महिला आयोग ने जांच के कदम बढ़ा दिए हैं।

चूंकि संसद का मानसून सत्र भी शुरू है, जिसमें 20 जुलाई 2023 को पहले दिन ही श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद मणिपुर दरिंदगी मामला आई.एन.डी.आई.ए ने जोरशोर से उठाया। हंगामा हुआ, सदन को पहले 12 बजे फिर 2 बजे उसके बाद शुक्रवार 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया। अब सरकार भी मणिपुर दरिंदगी मामले पर चर्चा के लिए तैयार है, जिस पर जनता जनार्दन नजरें लगाए बैठी है। हालांकि इस 20 जुलाई से 11 अगस्त 2023 वाले मानसून सत्र में 31 बिल शेड्यूल्ड किए गए हैं, डाटा प्रोटेक्शन, जन विश्वास बिल, अनुसंधान बिल जैसे महत्वपूर्ण बिल है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

मेरा मानना है कि 23 दिन और 17 बैठकों वाले इस मानसून सत्र को सकारात्मक चर्चा कर सबसे अधिक कामकाज वाला ऐतिहासिक सत्र बनाकर विश्व को दिखा देंगे कि विविधता में एकता, हम लड़ते हैं तो काम भी बहुत करते हैं और महिलाओं के सम्मान सुरक्षा हिमाकत सहित मणिपुर मामले पर भी चर्चा कर अपने सुझाव दर्ज करवाना जानते हैं। परंतु चुकी आज शर्मनाक वीडियो वायरल से महिलाओं की अस्मिता का सवाल उठा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे। महिलाओं के साथ हुई शर्मनाक दरिंदगी- संवैंधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा स्वतःसंज्ञान लेकर कार्यवाही को देशवासियों नें रेखांकित किया है।

साथियों बात अगर हम मणिपुर मामले की करें तो मीडिया के अनुसार रिपोर्ट में दर्ज किया गया है, मणिपुर में पहली बार हिंसा भड़कने के एक दिन बाद यानी 4 मई की दोपहर करीब एक हजार लोग एके राइफल्स, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल्स जैसे हथियारों के साथ गांव में घुस गए थे। इस दौरान उन्होंने गांव में तोड़फोड़ की, संपत्तियां लूटीं और घरों को जला दिया। शिकायत के अनुसार, लोग जान बचाने के लिए भागने लगे, इस दौरान पांच लोग खुद को बचाने के लिए जंगल की ओर भाग गए, इनमें दो पुरुष और तीन महिलाएं शामिल थीं। उनमें 56 वर्षीय एक व्यक्ति, उसका 19 वर्षीय बेटा और 21 वर्षीय बेटी के अलावा 42 वर्षीय और 52 वर्षीय महिलाएं भी शामिल थीं।

जंगल में भागे हुए इन लोगों को पुलिस स्टेशन की एक टीम ने रेस्क्यू किया। हालांकि, शिकायत में आरोप लगाया गया है कि भीड़ ने पुलिस स्टेशन से दो किलोमीटर दूर से पुलिस टीम की कस्टडी से उन्हें छीन लिया। भीड़ ने 56 वर्षीय व्यक्ति की हत्या कर दी, इसके बाद तीनों महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। फिर 21 वर्षीय महिला का गैंगरेप किया गया, इस दौरान जब युवती के छोटे भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उसकी भी हत्या कर दी। इस दौरान एक महिला परिचित लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रही, वहीं गैंगरेप के बाद दोनों महिलाओं को सड़क पर निर्वस्त्र घुमाया गया।

साथियों बातों पर हम मामले की गंभीरता पर पीएम के बयान की करें तो, मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले आज संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में मणिपुर घटना पर दुख प्रकट किया और कहा, पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है, पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा मेरा दिल आज पीड़ा और क्रोध से भरा है। ये घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। ये बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। उन्होंने कहा- मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहता हूं कि कानून-व्यवस्था को मजबूत करें।

माताओं-बहनों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाएं। हिंदुस्तान के किसी भी कोने या किसी भी राज्य में राजनीतिक वाद-विवाद से ऊपर उठकर कानून-व्यवस्था और बहनों का सम्मान प्राथमिकता है, कठोर से कठोर कदम उठाएं। घटना चाहे राजस्थान की हो, छत्तीसगढ़ की हो या मणिपुर की हो, इस देश में हिंदुस्तान के किसी भी कोने में किसी भी राज्य सरकार में राजनीति से ऊपर उठकर के कानून व्यवस्था का महत्व और नारी सम्मान होना चाहिए। मैं देशवासियों को भरोसा दिलाना चाहता हूं किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपनी पूरी शक्ति से एक के बाद एक कदम उठाएगा। मणिपुर में जो बेटियों के साथ हुआ है, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।

साथियों बात अगर हम माननीया राज्यपाल के बयान की करें तो, उन्होंने कहा कि अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सज़ा देने के लिए उन्होंने डीजीपी को निर्देश दिए हैं और उन पुलिस कर्मियों पर भी कार्रवाई के लिए कहा है जो संबंधित पुलिस स्टेशन में तैनात थे। इस घटना को लेकर 18 मई को ज़िले में एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद इस केस को संबंधित पुलिस थाने में भेज दिया गया।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय महिला आयोग के स्वतः संज्ञान की करें तो, उन्होंने तुरंत ट्विटर को इसके वीडियो अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के निर्देश दिए हैं, इस बारे में आयोग ने ट्विटर के पब्लिक पॉलिसी विभाग को औपचारिक रूप से निर्देश दिए हैं। आयोग का कहना है कि इस वीडियो से पीड़िता की पहचान ज़ाहिर हो रही है और ये दंडनीय अपराध है। वीडियो के वायरल होने के बाद मणिपुर के हालात को लेकर देशभर में गुस्से का माहौल है।

साथियों बात अगर हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच द्वारा संज्ञान की करें तो गुरुवार (20 जुलाई) सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने घटना को लेकर सख्त टिप्पणी की, पीठ ने कहा, मणिपुर में दो महिलाओं की जिस तरीके से परेड कराई गई है, उसकी कल आई वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं। सीजेआई ने कहा, मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक रूप से तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘बहुत व्यथित’ करने वाला है तथा यह ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ है, यह संवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।

अदालत को इस तथ्य की जानकारी है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे ही पीठ मामलों पर सुनवाई के लिए बैठी तो सीजेआई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से अदालत आने के लिए कहा था। सीजेआई ने दोनों विधि अधिकारियों से कहा, दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए मई से लेकर अब तक क्या कार्रवाई की गई और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है कि यह दोबारा न हो क्योंकि कौन जानता है कि यह अकेली घटना हो, अकेली घटना न हो, यह कोई प्रवृत्ति हो।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महिलाओं के साथ दरिंदगी-140 करोड़ देशवासियों के लिए शर्मिंदगी संवैधानिक लोकतंत्र में महिलाओं के साथ शर्मसार दरिंदगी अस्वीकार है। महिलाओं के साथ हुई शर्मसार दरिदंगी पर संवैधानिक संस्थाओं, पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही को देशवासियों नें रेखांकित किया है।

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