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‘Game Zone’ fire case, अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को ‘गेम जोन’ में लगी आग से 27 लोगों की मौत को लेकर राजकोट नगर निकाय को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अब उसका राज्य मशीनरी पर से भरोसा उठ गया है जो केवल तब हरकत में आती है जब मासूम लोगों की जान जा चुकी होती है।
अदालत ने राजकोट नगरपालिका परिषद (आरएमसी) को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि जब उसके क्षेत्र के अंतर्गत इस तरह का बड़ा ढांचा तैयार किया जा रहा था तब क्या उसने आंखें मूंद रखी थीं? इसके पहले आरएमसी के वकील ने अदालत से कहा था कि टीआरपी ‘गेम जोन’ ने अपेक्षित अनुमति नहीं मांगी थी।
न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ‘गेम जोन’ में आग लगने की घटना पर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने कहा कि 2021 में टीआरपी गेम जोन की स्थापना के समय से लेकर इस घटना (25 मई को) तक, राजकोट के सभी नगर निगम आयुक्तों को ‘इस त्रासदी के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए’ और उन्हें अलग-अलग शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
राजकोट के नाना-मावा इलाके में शनिवार शाम को टीआरपी ‘गेम जोन’ में आग लगने से बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, ‘गेम जोन’ आग से जुड़े एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना संचालित किया जा रहा था।
उच्च न्यायालय ने रविवार को आग के कारण घटी इस त्रासदी पूर्ण घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे प्रथम दृष्टया ‘मानव जनित आपदा’ करार दिया।
एक वकील ने सोमवार को अदालत को बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए तत्काल निवारक और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है और राज्य सरकार को एक व्यक्ति को जवाबदेह ठहराने के लिए आगे आना होगा और इसके लिए सख्त कदम उठाने की दरकार है।
इस पर अदालत ने कहा, ”इतने सख्त कदम कौन उठाएगा? ईमानदारी से कहूं तो अब हमें राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं रहा। इस अदालत के आदेशों के चार साल बाद, उन्हें निर्देश देने के बाद, उनके आश्वासन के बाद, यह घटित होने वाली छठी घटना है।” अदालत ने कहा कि वे केवल यही चाहते हैं कि जिंदगियां चली जाएं और फिर मशीनरी को काम पर लगाएं ”
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