अदालत ने बांग्लादेशी महिला को उसके देश भेजने का दिया आदेश

कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक बांग्लादेशी महिला को उसके अनुरोध पर हवाई मार्ग से उसके देश भेजे जाने का आदेश दिया है क्योंकि वह वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद भारत में रहने के लिए अपनी सजा की अवधि पूरी होने के बाद एक सुधार गृह में है। न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने उस सुधार गृह के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह महिला को उसके देश वापस भेजने के लिए तत्काल उचित कदम उठायें।

अदालत ने निर्देश दिया कि सुधार गृह के अधीक्षक, यदि आवश्यक हो तो पुलिस कर्मियों को तैनात करें जो बांग्लादेशी महिला के साथ हवाई अड्डे पर तब तक रहें जब तक याचिकाकर्ता को वहां विमान में चढ़ने के लिए मंजूरी नहीं मिल जाती। महिला ने कहा है कि वह हवाई मार्ग से अपने देश जाना चाहती है।

महिला के वकील सौम्यजीत दास महापात्र ने कहा कि मुंबई में एक डांस बार में काम करने वाली महिला वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ भारत आयी थी, लेकिन कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण समय पर वापस नहीं जा सकी।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने उसे इस साल की शुरुआत में अवैध रूप से बांग्लादेश वापस जाने की कोशिश करते हुए पकड़ा था और उसे उत्तर 24 परगना जिले के स्वरूपनगर पुलिस थाने को सौंप दिया गया था। जिला अदालत ने महिला द्वारा दोष स्वीकार किये जाने के बाद उसे 66 दिनों के कारावास की सजा सुनायी और उसकी सजा 19 जून को पूरी हो गई।

महापात्र ने कहा कि हालांकि, मूल देश वापस भेजने की प्रक्रिया में लंबे प्रशासनिक मुद्दों के कारण, महिला अपनी सजा पूरी करने के बावजूद सुधार गृह में रह रही है, जिसके चलते उसे उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के एक विशेष सचिव ने 13 जुलाई को केंद्र सरकार से याचिकाकर्ता को हवाई मार्ग से तत्काल वापस भेजे जाने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति बसाक ने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता अपनी उड़ान के लिए हवाई टिकट खरीदेगी और उसे सुधार गृह के अधीक्षक के समक्ष पेश करेगी, जहां वह वर्तमान में बंद है।’’ उन्होंने पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ऐसी उड़ान का लाभ उठा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × two =