साहसी शब्द से साहसी कर्मो की आवश्यकता है-डॉ. चौधरी

स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह सम्पन्न।
उज्जैन : स्वामी विवेकानन्द के विचारो के अनुसार, मेरी दृढ धारणा है कि तुममें अन्धविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति विद्यमान है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे-धीरे और भी अन्य लोग आयेंगे। ‘साहसी‘ शब्द और उससे अधिक ‘साहसी‘ कर्मो की हमें आवश्यकता है। उठो! उठो! संसार दुःख से जल रहा है। क्या तुम सो सकते हो? हम बार-बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता न जाग उठें, जब तक अन्तर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है ? इससे महान कर्म क्या है ? अकेले रहो, अकेले रहो। जो अकेला रहता है, उसका किसी से विरोध नहीं होता, वह किसी की शान्ति भंग नहीं करना, न दूसरा कोई उसकी शान्ति भंग करता है। जो पवित्र तथा साहसी है, वही जगत् में सब कुछ कर सकता है। माया-मोह से प्रभु सदा तुम्हारी रक्षा करें। मैं तुम्हारे साथ काम करने के लिए सदैव प्रस्तुत हूँ एवं हम लोग यदि स्वयं अपने मित्र रहें तो प्रभु भी हमारे लिए सैकड़ो मित्र भेजेंगे।

संगोष्ठी के प्रस्तावक डॉ. प्रभु चौघरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि ‘‘हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को इसके लिए तैयार रहना चाहिए-वह आदर्श है-भारत की विश्व पर विजय। उससे छोटा कोई आदर्श न चलेगा। हम सभी को इसके लिए तैयार रहना चाहिए और इसे प्राप्त करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। उठो भारत तुम अपनी आध्यात्मिकता द्वारा जगत पर विजय प्राप्त करो।‘‘ मुख्य अतिथि ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द का आदर्श था, ‘विश्व विजयी भारत।‘ उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी में कहा था -‘अब इंग्लैण्ड, यूरोप और अमेरिका पर विजय पाना, यही हमारा महाव्रत होना चाहिए। इसी से देश का भला होगा।

विस्तार ही जीवन का केन्द्र है। हमें सारी दुनिया में अपने आध्यात्मिक विचारों का प्रचार करना ही होगा।‘ वे बार-बार कहते थे, कायरता छोड़ो। निद्रा त्यागो। यह वीर भोग्या वसुन्धरा है। वीर बनो। याद रखो-‘हमें सम्पूर्ण संसार जीतना है। हाँ, हमें यह करना ही होगा। भारत को अवश्य ही संसार पर विजय प्राप्त करना होगी। इसकी अपेक्षा किसी छोटे आदर्श से मुझे कभी संतोष न होगा। इसके सिवा कोई विकल्प नहीं है।‘ राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 175वीं आभासी संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. बालासाहेब तोरस्कर ने की। विशेष अतिथि डॉ. अनसूया अग्रवाल, डॉ. जया आनंद, डॉ. संध्या भोई, डॉ. अनुराधा सिंह, हरेराम वाजपेयी, डॉ. शहाबुद्दीन शेख आदि ने एवं संगोष्ठी की मुख्य वक्ता सुवर्णा जाधव रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. रश्मि चौबे एवं आभार भुवनेश्वरी जायसवाल ने माना।

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