कोरोना काल : मुक्ति की आग के लिए भी लंबा इंतजार

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : अपनों को खाेने वालों का एक – एक पल सदियों की तरह बीतता है । ऐसे में मुखाग्नि के लिए भी यदि किसी परिवार को घंटों का लंबा इंतजार करना पड़े तो उनकी मनोदशा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन कोरोना काल में यह कईयों के साथ हो रहा है। खड़गपुर शहर के विधानपल्ली निवासी मनोज यादव भी ऐसे ही अभागों में शामिल हैं।

मां को अंतिम विदाई देने के लिए उसे लगातार तीन दिनों से सिस्टम से जूझना पड़ रहा है। मनोज की दिवंगत माता लक्ष्मी देवी (67 ) कैंसर से पीड़ित थी। मुंबई में उनका लंबा इलाज चला । लेकिन हालत में सुधार न होने पर वे घर पर ही रह रही थी। विगत शनिवार की सुबह तबियत बिगड़ने पर मनोज ने मां को रेलवे मुख्य अस्पताल में भर्ती कराया , जहां दोपहर उनकी सांसें थम गई।

कोरोना काल में नियमों के तहत कोविड की पुष्टि के लिए शव को रोक लिया गया लेकिन लगातार तीन दिन व्यतीत हो जाने के बावजूद चिकित्सकों के किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाने से मनोज का इंतजार लंबा होता जा रहा है। वो यथा शीघ्र मुखाग्नि देकर मां को अंतिम विदाई देना चाहता है। उसके परिजन भी बेहाल है क्योंकि पिता को पहले ही खो चुका मनोज परिवार का इकलौता पुत्र है।

कई घंटे बाद भी अंत्येष्टि न हो पाने की सूचना पर शहर के कुछ संवेदनशील लोग सोमवार को अस्पताल पहुंचे और अधिकारियों से बात की। आमरा वामपंथी संगठन के नेता अनिल दास ने कहा कि यह रेलवे और जिला स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय की कमी का मामला लगता है। मैने स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से बात की है।

सोमवार की देर शाम तक अंतिम संस्कार के लिए शव ज़रूर मिल जाने का आश्वासन मिला है। इस संबंध में खड़गपुर रेल मंडल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एस . के . बेहरा से बातचीत करने की कोशिश की गई , लेकिन उन्होंने मीटिंग में व्यस्तता की बात कही।

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