कोलकाता : बंगाल में 17 अप्रैल को होने वाले पांचवें चरण के मतदान (West Bengal Assembly Election) से पहले चुनाव प्रचार तेज हो गया है। चुनाव प्रचार पर 24 घंटे के लिए पाबंदी लगाए जाने के निर्वाचन आयोग के ‘असंवैधानिक फैसले’ के खिलाफ कोलकाता में धरना दे रही हैं। सीएम ममता बनर्जी पर 24 घंटे के बैन हटने के बाद आज दो रैलियों को संबोधित करेंगी।
इसके पहले बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘निर्वाचन आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में मैं मंगलवार दिन में 12 बजे से गांधी मूर्ति, कोलकाता पर धरने पर बैठूंगी।’ केंद्रीय बलों के खिलाफ बनर्जी की टिप्पणी और कथित तौर पर धार्मिक लहजे वाले बयान के बाद निर्वाचन आयोग ने आदेश जारी किया था।
निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा है, ‘आयोग पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों के दौरान ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें।’
बंगाल में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से शुरू हुआ और आठ चरणों में हो रहे चुनाव के बाकी चार चरणों का मतदान 17 अप्रैल से 29 अप्रैल के बीच होगा। चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता के बारे में हमेशा संदेह था। लेकिन, आज इसने जो भी दिखावा किया है, वह स्पष्ट है। अब यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग मोदी/शाह के इशारे पर और उनके सीधे आदेश के तहत काम कर रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘आज लोकतंत्र की हर संस्था से समझौता किया गया है। हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?’ तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन है। उन्होंने कहा, ‘आयोग बिल्कुल कमजोर पड़ चुका है। 12 अप्रैल हमारे लोकतंत्र में काला दिन है। हमें हमेशा मालूम था कि हम बंगाल जीत रहे हैं।’
उन्हीं के सुर में सुर मिलाते हुए एक अन्य पार्टी नेता कुणाल घोष ने आयोग के फैसले पर कहा, ”आयोग भाजपा की शाखा की भांति बर्ताव कर रहा है। यह पाबंदी ज्यादती है एवं इससे अधिनायकवाद की बू आती है। आयोग का एकमात्र लक्ष्य बनर्जी को चुनाव प्रचार से रोकना है क्योंकि भाजपा पहले ही हार भांप चुकी है। यह शर्मनाक है।’