चिरेका प्रशासन ने माइकिंग कर मवेशी पालकों को चेताया, प्रशासनिक कारवाई की दी चेतावनी

वरिष्ठ पत्रकार पारो शैवलिनी, चित्तरंजन : चित्तरंजन रेलनगरी पूर्णरूपेण एक आरक्षित एरिया है।18.34 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस रेलनगरी एरिया में प्रवेश करने के लिए मात्र तीन प्रवेश द्वार बने हुए हैं। शुरू से ही रेलनगरी में पशुपालन पर रोक है। बावजूद, इसके इन दिनों इस प्रतिबंधित क्षेत्र के कई एरिया में बहुतायत संख्या में मवेशियों को लावारिश की तरह सड़कों पर दिन-रात विचरण करते आसानी से देखा जा सकता है। शाम ढलते ही मवेशियों को जहाँ-तहाँ झुण्ड में बैठे पाया जाता है जिसकी वजह से दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। वहीं साफ-सफाई भी इन लावारिश मवेशियों की वजह से बाधित होती है।

इन सारी परेशानियों के मद्देनजर चित्तरंजन रेल प्रशासन की तरफ से सारा दिन ऑटो-रिक्शा पर माइकिंग के जरिए चित्तरंजन वासियों को सख्त हिदायत देते हुए आने वाले दिनों में इसका उल्लंघन किये जाने पर प्रशासनिक कारवाई की दी चेतावनी दी है।

रेल प्रशासन ने चेताया है कि रेलनगरी में पशुपालन करनेवालों को चिरेका जनस्वाथ्य विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है। दो से ज्यादा संख्या में मवेशियों को नही रखा जा सकता है। यह भी कहा गया है कि मवेशियों को मालिक अपने नियंत्रण में ही रखें।सड़कों पर लावारिश की तरह मवेशियों को पाये जाने पर उसके मालिक पर प्रशासनिक कारवाई किये जाने की चेतावनी भी दी गई।

सत्तर के दशक में चित्तरंजन रेलनगरी के फतेहपुर एरिया में ऐसे लावारिश मवेशियों के लिए खुले मैदान को कटीले तारों से घेर कर मवेशी बंदीगृह जिसे खुआर कहा जाता था, बना हुआ था। प्रशासन की तरफ से लावारिश मवेशियों यथा गाय, बकरी,भैंस यहां तक की लावारिश कुत्तों को भी पकड़ कर रखा जाता था। छुड़ाने वालों को जुर्माना के साथ कड़ी हिदायत भी दी जाती थी। चित्तरंजन रेल प्रशासन को चाहिए कि अगर सही मायने में वो रेलनगरी को इससे छुटकारा दिलाना चाहती है तो खुआर की परंपरा को चालू करे। तभी इन परिस्थितियों से चित्तरंजन रेलनगरी तथा नगरवासियों को राहत दिलवाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × three =