नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा दिल्ली चुनावों से पहले ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी है। इस बयान में कई अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो चुनाव प्रक्रिया की सत्यता और विश्वसनीयता को स्पष्ट करते हैं।
पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शक्ति
मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकतंत्र के विकास और मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने यह संकेत दिया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया में सुधार और जागरूकता बढ़ी है। देश में 2024 में कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव होंगे, जो यह दिखाते हैं कि भारतीय लोकतंत्र तेजी से सुदृढ़ हो रहा है।
ईवीएम पर सवाल और जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम पर उठे सवालों को संबोधित किया, विशेष रूप से मैन्युप्लेशन (हेरफेर) और वोटर टर्नआउट में बढ़ोतरी जैसे आरोपों पर। उन्होंने साफ किया कि ईवीएम की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और इसमें कोई भी गड़बड़ी या हेरफेर नहीं हो सकता। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम के प्रत्येक इस्तेमाल से पहले पोलिंग एजेंट्स के सामने प्रक्रिया को किया जाता है। मशीन के नंबर को अंकित किया जाता है, जो प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।
पारदर्शिता की प्राथमिकता
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता पूरी चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने, काटने और सुधारने का काम सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर किया जाता है। इस प्रकार, किसी भी विवाद के होने की स्थिति में सुधार की प्रक्रिया पहले से तय है, और यह सभी दलों के सहयोग से होती है।
पारदर्शिता और जिम्मेदारी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि हर सवाल का जवाब देना उनकी जिम्मेदारी है, और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के शंकाओं या विवादों का समाधान पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। उनका यह कथन भारतीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता और गंभीरता को दर्शाता है।
आलोचनाओं का सामना
उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर उठे आरोपों, जैसे धीमी मतगणना और नामों में गड़बड़ी के मुद्दे पर भी उत्तर दिया। उनका यह कहना था कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता होती है, लेकिन परिणामों के आधार पर पूरी प्रक्रिया का आंकलन करना गलत होगा।
चुनावी सुधार और शंकाओं का समाधान समय-समय पर किया जाएगा, ताकि लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हो सकें।
इस बयान से स्पष्ट होता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग लोकतंत्र की सही दिशा में काम कर रहे हैं और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं।
ईवीएम प्रक्रिया पर उठने वाले सवालों का निपटारा करने के लिए आयोग की पूरी तैयारी और पारदर्शिता से किए गए उपाय लोकतंत्र की मजबूती को सुनिश्चित करते हैं।
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