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छठ सूर्य देव की पूजा को समर्पित पर्व है, प्रकृति से जुड़ा यह पर्व आध्यात्मिक चेतना जगाता है

आइए त्योहारों के मौसम में छठ पर्व की बेला पर खुशियों से सराबोर होकर नहाए
आइए हंसियों की फुलझड़ियां जलाकर जिंदगी को महकाएं – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। कुदरत द्वारा रचित इस अनमोल खूबसूरत सृष्टि में रचनाकर्ता ने मानवीय जीवन में अनेक गुण दोषों को शामिल कर संजोया है, इसका उपयोग करने सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमता का भी सृजन कर दिया है। बस, जरूरत है अब माननीय जीव को उसे गुण-दोष, सुख-दुख, खुशियां-गम, प्रसन्नता-दुख इत्यादि का चुनाव कर अपने जीवन को सफल और असफल बनाएं उसके ऊपर है। क्योंकि प्रसन्नता और सुख-दुख भी बौद्धिक क्षमता के आधार पर माननीय जीव को खुद चुनना होता है! इसलिए आज हम छठ की पावन बेला पर मन की प्रसन्नता पर उसके गुणों, प्रक्रिया सुजन करने के तरीकों पर इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे।

साथियों बात अगर हम छठ पर्व की बेला पर खुशियों से सराबोर होकर नहाने की करें तो, इस साल 2023 में छठ पूजा का त्योहार 17 नवंबर से शुरू हुआ। छठ पूजा का पहला अर्ग 19 नवंबर को है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ पूजा का समापन व व्रत पारण किया जाएगा। छठ पर्व की शुरूआत नहाय-खाय के साथ होती है। इसके दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना होगा। शाम को व्रती महिलाएं खीर का प्रसाद बनाती हैं। छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है। चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ पर्व का समापन किया जाता है। इस त्योहार को सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में मनाया जाता है। साथ ही इसे नेपाल में भी मनाया जाता है। इस त्योहार को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व संतान के लिए रखा जाता है। छठ में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।

साथियों बात अगर हम माननीय राष्ट्रपति द्वारा दिनांक 18 नवंबर 2023 को देर शाम छठ पर्व पर बधाई संदेश की करें तो उन्होंने छठ पूजा के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, छठ पूजा के शुभ अवसर पर, मैं सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। छठ सूर्य देव की पूजा को समर्पित पर्व है। यह नदियों, तालाबों और पानी के अन्य स्रोतों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है। प्रकृति से जुड़ा यह पर्व आध्यात्मिक चेतना जगाता है और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है। छठ पूजा हमें अपने परिवेश को स्वच्छ रखने और अपने दैनिक जीवन में अनुशासन का पालन करने की याद दिलाती है।आइए हम अपने जल संसाधनों और पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाकर प्रकृति माँ का सम्मान करने का संकल्प लें। इस शुभ अवसर पर, मैं सभी नागरिकों की खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हूं।

साथियों बात अगर हम खुशी के छठ पर्व पर प्रसन्नता की बात करें तो खुलकर हंसना, मुस्कुराना, प्रसन्न रहना, मन की प्रसन्नता खुद सृजित की हुई दवा के समान है, क्योंकि इसमें सब दुख तो नष्ट होते हैं,जीव अपने कर्म में असफल नहीं होता। बुद्धि तुरंत स्थिर रहती है। सामाजिक प्रतिष्ठा और गुणों की सुगंध दूर तक जाती है एक अलग हस्मुख व्यक्तित्व की हमारी छाया हमारे अपने परिचितों सहयोगियों पर पड़ती है। प्रसन्नता हमारा ऐसा अनमोल खजाना है, जिसे जितना लूटाएंगे उतना ही बढ़ता चला जाएगा, खिलखिलाते चेहरे और प्रसन्नता की आंखों की चमक मनीषियों को दुर्लभ पूंजी है, क्योंकि प्रसन्नता सुकून से जीने की कुंजी है। यह खजाना तब बढ़ता है जब हम दूसरों की खुशीयों में अपनी खुशी को समाहित करते हैं। हमें छोटी-छोटी चीजों में प्रसन्नता, सुख ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए, विश्वसनीय मन के भाव की खुशी का भाव अभूतपूर्व सफलता और दूरगामी सकारात्मक परिणाम होता है। आध्यात्मिकता, उदारता, परोपकार, सहनशीलता, सहिष्णुता इत्यादि मन की प्रसन्नता के प्रमुख स्त्रोतों में से कुछ हैं, जिनको जीवन में अपनाने की जरूरत को रेखांकित किया जा सकता है।

साथियों बात अगर हम छठ के इस पावन पर्व पर मन की प्रसन्नता के गुण एवं लाभों की करें तो, प्रसन्नता तो व्यक्ति का मानसिक गुण है, जिसे व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन के अभ्यास में लाना होता है। प्रसन्नता व्यक्ति के अंतर्मन में छिपे उदासी, तृष्णा और कुंठाजनित मनोविकारों को सदा के लिए समाप्त कर देती है। वस्तुत: प्रसन्नता चुंबकीय शक्ति संपन्न एक विशिष्ट गुण है। प्रसन्नता दैवी वरदान तो है ही, यह व्यक्ति के जीवन की साधना भी है। व्यक्ति प्रसन्न रहने के लिए एक खिलाड़ी की भांति अपनी जीवन-शैली और दृष्टिकोण को अपना लेता है। उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता असफलता, जय-पराजय, और सुख-दुख उसके चिंतन का विषय नहीं होता। वह तो अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है।प्रसन्नता मानवों में पाई जाने वाली भावनाओं में सबसे सकारात्मक भावना है। इसके होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं; अपनी इच्छाओं की पूर्ति से संतुष्ट होना। अपने दिन-रात के जीवन की गतिविधियों को अपनी इच्छाओं के अनुकूल पाना। किसी अचानक लाभ से लाभांवित होना। किसी जटिल समस्या का समाधान प्राप्त होना। साथियों बात अगर हम प्रसन्नता के लक्ष्यों की प्राप्ति की करें तो, प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है। यदि वह असफल भी हो जाता है तो निराश होने और अपनी विफलता के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा अपनी चूक के लिए आत्मनिरीक्षण करना ही उचित समझता है।

ज्ञानीजन और अनुभवी बताते हैं कि प्रसन्नता जैसे दैवीय-वरदान से कुतर्की और षड्यंत्रकारी लोग सदैव वंचित रह जाते हैं। प्रसन्न व्यक्ति स्वयं को प्रसन्न रखकर दूसरों को भी प्रसन्न रखने की अद्भुत सामथ्र्य रखता है। प्रसन्नता को प्रभु-प्रदत्त संपदा समझने वाले व्यक्ति ही सदैव सुखी रहते हुए यशस्वी, मनस्वी, महान और पराक्रमी बनकर समाज और राष्ट्र के लिए आदर्श स्थापित करने में सक्षम हो सकते हैं। प्रसन्नता ही सुखी जीवन का मूल मंत्र है। प्रसन्नता हमारा अनमोल खजाना है। प्रसन्नता को ज़रूर लुटाइए फ़िर देखिए, उसका खजाना बढ़ता चला जाएगा। भलाई करना कर्त्तव्य नहीं, आनन्द है। क्योंकि वह प्रसन्नता को पोषित करता है। सबको प्रसन्न करने की शक्ति सब में नहीं होती। प्रसन्नता आत्मा को शक्ति प्रदान करती है। प्रसन्नतापूर्वक उठाया गया बोझ हल्का महसूस होता है। प्रसन्नता शब्द का प्रयोग मानसिक या भावनात्मक अवस्थाओं के संदर्भ में किया जाता है, जिसमें संतोष से लेकर तीव्र आनंद तक की सकारात्मक या सुखद भावनाएं शामिल हैं। इसका उपयोग जीवन संतुष्टि, व्यक्तिपरक कल्याण, यूडिमोनिया, उत्कर्ष और कल्याण के संदर्भ में भी किया जाता है इसलिए हर व्यक्ति ने इस गुण को अपने में समाहित कर जीवन को सफल बनाने के मंत्र को अपनाना चाहिए।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि छठ सूर्य देव की पूजा को समर्पित पर्व है, प्रकृति से जुड़ा यह पर्व आध्यात्मिक चेतना जगाता है। आओ त्योहारों के मौसम में छठ पर्व की बेला पर खुशियों से सराबोर होकर नहाए। आइए हंसियों की फुलझड़ियां जलाकर जिंदगी को महकाएं।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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