दुबई। आईसीसी बोर्ड शुक्रवार को चैंपियंस ट्राॅफ़ी कहां और कैसे कराई जाए इस दुविधा को सुलझाने के लिए बैठक करेगा। टूर्नामेंट को शुरू होने में अब तीन माह से भी कम समय बचा है।
वे तीन विकल्पों पर गौर करेंगे :
- पहला हाइब्रिड विकल्प, जहां अधिकतर मैच पाकिस्तान में हों लेकिन जिन मैच में भारत खेलेगा वे मैच पाकिस्तान के बाहर हों।
- दूसरा विकल्प पूरा टूर्नामेंट ही पाकिस्तान के बाहर कराया जाए लेकिन इसके मेज़बानी राइट्स पीसीबी के पास ही रहेंगे।
- तीसरा पूरा टूर्नामेंट पाकिस्तान में बिना भारतीय टीम के कराया जाए।
तीनों में से तीसरा विकल्प के चुने जाने की संभावना कम है क्योंकि इससे टूर्नामेंट के वित्तीय और कमर्शियल पहलू पर प्रभाव पड़ेगा। गुरुवार की सुबह पाकिस्तान में पीसीबी चेयरमैन मोहसिन नक़वी के शब्दों के बाद हाइब्रिड मॉडल को अपनाए जाने की संभावना सबसे अधिक है। हाइब्रिड विकल्प के बारे में कई बार पूछे जाने पर नक़वी ने केवल इतना कहा कि आईसीसी बोर्ड जो भी निर्णय लेगा, वह उस पर पाकिस्तान सरकार के साथ विचार-विमर्श करेंगे।
हालांकि यह जरूरी नहीं कि रुख में नरमी आए, लेकिन यह उनके पिछले बयानों से अलग था जहां पर उन्होंने हाइब्रिड मॉडल को नकार दिया था। इसके बजाय, नक़वी ने इस संभावना पर जोर दिया कि पाकिस्तान अब भारत में खेलने के लिए इच्छुक या सक्षम नहीं है, क्योंकि भारत अगले वर्ष महिला विश्व कप, 2025 में एशिया कप, 2026 में पुरुष टी20 विश्व कप और 2029 में चैंपियंस ट्रॉफ़ी की मेज़बानी कर रहा है, जो आगे चलकर एक समस्या बनेगी।
उन्होंने यह नहीं बताया कि पाकिस्तान इस टूर्नामेंट में भारत के साथ खेलेगा या नहीं, क्योंकि एक ही ग्रुप में होने के कारण अगर हाइब्रिड मॉडल होता है तो उन्हें पाकिस्तान से बाहर यह मैच खेलना होगा। यहां मैच नहीं होने का मतलब टूर्नामेंट को एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक झटका भी होगा।
नक़वी ने बार-बार कहा, “हम जो भी करेंगे, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान के लिए सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त हो। लेकिन मैं दोहराता हूं और मैं जानता हूं आप जानते हैं मैं क्या कहना चाहता हूं, यह संभव नहीं है कि पाकिस्तान भारत में खेले और वे यहां न आएं।”
नक़वी ने कहा कि पीसीबी किसी भी तरह के वित्तीय सेटलमेंट को नहीं देखेगा, अनौपचारिक चर्चा को खारिज़ किया कि पीसीबी एक हाइब्रिड मॉडल के बदले में एक भारी होस्टिंग शुल्क पर बातचीत करने की कोशिश कर सकता है।
उन्होंने कहा, “हम कुछ अधिक रकम के बदले अपने मेज़बानी राइट्स नहीं बेचेंगे। यह कभी नहीं होगा। लेकिन हम वो करेंगे जो पाकिस्तान के लिए बेहतर हो। किसी भी इवेंट में जब वेन्यू में दो देश होंगे तो दोबारा से टूर्नामेंट का बजट बनेगा।
यह ऑनलाइन बैठक होगी और अगर बोर्ड के बीच कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है तो वोटिंग होगी। लेकिन टूर्नामेंट से पहले समय कम होता जा रहा है और इसकी तैयारियां शुरू होने के कारण जल्दी से जल्दी समाधान निकालने का दबाव रहेगा। बोर्ड जो विकल्प चुनता है, उसके आधार पर वैकल्पिक या अतिरिक्त स्थल का चयन करना होगा और आयोजन के लिए कार्यक्रम को अंतिम रूप देकर जारी करना होगा।
इसके अलावा, लाहौर में गद्दाफ़ी स्टेडियम और कराची में नेशनल स्टेडियम टूर्नामेंट के लिए तैयार होने की दौड़ में महत्वपूर्ण नवीनीकरण कार्य से गुजर रहे हैं। पीसीबी ने आईसीसी बोर्ड को आश्वासन दिया है कि इस साल के अंत तक ये आयोजन स्थल टूर्नामेंट के लिए तैयार हो जाएंगे।
पाकिस्तान ने नवंबर 2021 में चैंपियंस ट्रॉफ़ी की मेज़बानी के अधिकार जीते हैं और अगर यह योजना के मुताबिक चलता है, तो यह 1996 के विश्व कप के बाद से उनका पहला आईसीसी इवेंट होगा जिसकी वे मेज़बानी करेंगे। लेकिन इसकी स्थिति तब गड़बड़ा गई जब बीसीसीआई ने इस महीने की शुरुआत में आईसीसी को सूचित किया कि उनकी टीम को भारत सरकार ने पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी है।
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि 2008 के बाद से किसी भी भारतीय टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है, उस साल मुंबई हमलों के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी।
तब से पाकिस्तान ने तीन बार भारत का दौरा किया है, 2012-13 में द्विपक्षीय श्रृंखला के लिए, 2016 में टी20 विश्व कप के लिए और हाल ही में 2023 में वनडे विश्व कप के लिए। यह दौरा केवल एक सरकारी समिति द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद हुआ जबकि कुछ विरोधी पार्टी के सदस्यों की ओर से काफ़ी विरोध किया गया था।
पीसीबी को हाल में एशिया कप के लिए भी हाइब्रिड मॉडल में जाना पड़ा, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस बार चैंपियंस ट्रॉफ़ी के लिए भारत पाकिस्तान आएगा।
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