CPM के सामने कोलकाता के अपने अंतिम गढ़ ‘जादवपुर’ को बचाने की चुनौती

कोलकाता। Bengal Election 2021 : जादवपुर एकमात्र सीट है जिसे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 2016 विधानसभा चुनाव में फिर से जीतने में कामयाबी हासिल की थी। 2019 लोकसभा चुनाव में वाम मोर्चा के प्रत्‍याशी विकास रंजन भट्टाचार्य टीएमसी की मिमी चक्रवर्ती से 12 हजार वोटों से हार गये थे।जादवपुर (Yadavpur Assembly Seat) को एक समय में ‘कलकत्ता का लेनिनग्राद’ कहा जाता था। कोलकाता के दक्षिणी उपनगर में यादवपुर विधानसभा सीट पर 10 अप्रैल को होने जा चुनाव दरअसल बंगाल के लिए सबसे बड़ी लड़ाई का प्रतीक है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के क्षेत्र में पड़ने वाली सभी अन्य विधानसभा सीटें टीएमसी के हाथों हारने के बाद पूर्वी महानगर के अपने इस अंतिम गढ़ को बचाने के लिए लड़ रही है। यादवपुर एकमात्र सीट है जो इसने 2016 में फिर से जीतने में कामयाबी हासिल की थी।

हालांकि, 2019 में जादवपुर लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव में, वाम मोर्चे के प्रत्याशी बिकास भट्टाचार्य टीएमसी की मिमी चक्रवर्ती से करीब 12,000 मतों से पीछे रहे थे। वहीं टीएमसी के लिए यह लड़ाई इस सीट को फिर से जीतने की है, जो उसने 2016 में सीपीएम के हाथों गंवा दी थी, जिसे उसने 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से छीन लिया था, जब पार्टी 34 साल के वाम मोर्चे के शासन को समाप्त कर सत्ता पर काबिज हुई थी।

जादवपुर में बाबुल सुप्रियो से हुई थी 2019 में मारपीट
इस सीट को जीतना बीजेपी के लिए भी प्रतीकात्मक होगा क्योंकि जादवपुर विश्वविद्यालय वामपंथी और घोर वामपंथी छात्र संघों का मजबूत गढ़ है। बगल की टॉलीगंज सीट से प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो जिनके साथ 2019 में यहां मारपीट हुई थी, वह इस निर्वाचन क्षेत्र का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह कोलकाता के अंदर और आस-पास की उन चंद सीटों में से एक है जहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।

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