कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का फंड भुगतान नहीं किए जाने को लेकर छिड़े विवाद का समाधान संभव है। पता चला है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को हल कर देना चाहती है ताकि तृणमूल कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा ना बना सके। राजभवन के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया,” राज्यपाल सीवी आनंद बोस के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार की ओर मामले के समाधान की गुंजाइश दिख रही है।”
पता चला है कि राज्यपाल ने अभिषेक बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं के साथ बैठक के बाद, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह से इस मुद्दे पर बात की थी। सिंह ने इसके बाद बकाए के भुगतान पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए कार्रवाई करने का वादा किया।
सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने संकेत दिया कि बकाया राशि के जल्द ही जारी होने की संभावना है लेकिन इसे लेकर कोई समयसीमा नहीं दी गई है। हालांकि बकाये का भुगतान कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा जैसा की ऑडिट रिपोर्ट की प्रस्तुति और फर्जी जॉब कार्ड धारकों को सूची से बाहर किए जाने की शर्त लगाई जा सकती है।
केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण पश्चिम बंगाल में ग्रामीण रोजगार योजना के लिए धन को जारी नहीं किया गया था। मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ”केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन न करने के कारण मनरेगा, 2005 की धारा 27 के प्रावधान के अनुसार पश्चिम बंगाल राज्य की राशि 9 मार्च, 2022 से रोक दी गई है।” उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस ने मनरेगा के भुगतान के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया था। इसके बाद राज भवन के बाहर भी पांच दिनों तक अभिषेक बनर्जी धरने पर बैठे रहे थे।