वरिष्ठ पत्रकार प्रह्लाद प्रसाद की रपट :
चित्तरंजन। पश्चिम वर्धमान के चित्तरंजन रेल नगरी में आज भी मवेशियों का आतंक बरकरार है। जानकारी देते हुए चिरेका के सेवानिवृत रेलकर्मी सह समाज सेवक दर्शन लाल प्रभाकर ने कहा कि चिरेका प्रशासन ने मवेशियों के आतंक को ही केंद्रीत कर यहां अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत रेल नगरी में पसरे खटालों को महीनों पहले तोड़ा था। बावजूद चित्तरंजन की सड़कों पर मवेशियों का आतंक बरकरार है।
समाजसेवी ने कहा कि 70-80 के दशक में स्थानीय फतेहपुर इलाके में मवेशियों का जेल जिसे खु़आर कहा जाता था, हुआ करता था। मवेशियों में गाय, भैंस, बकरी तथा आवारा कुत्तों के पकड-धकड की व्यवस्था थी। जिसे बाद में मवेशी मालिकों से जुर्माना लेकर छोड़ा जाता था।
दर्शनलाल ने यह भी कहा कि चित्तरंजन की सड़कों पर से मवेशियों के आतंक को हटाने के लिए चिरेका प्रशासन को ऐसा ही कदम उठाना चाहिए।
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