फर्ज (लघुकथा) : हीरा लाल मिश्र

महफूज का पिता अफजल ताँगा चलाता था। घोड़े को इतना सजा-सँवार कर रखता कि लोग

प्रमोद तिवारी की कविता : और गलत तू भी नहीं

और गलत तू भी नहीं जानते तुम भी थे, समझता मैं भी था, फिर क्यों

अर्जुन तितौरिया की कविता : दहेज

*दहेज* दहेज के लिए लड़को की, लगती यहां मंडी है। निशदिन यहां नववधू को, जलाया

रामा श्रीनिवास ‘राज’ की कविता : “गरिमा”

“गरिमा” जी हाँ ! प्यारे मित्रों, मैं भी नाटक करता हूँ कलाकारी पेशा है मेरा

डीपी सिंह की कुण्डलिया

चर्बी से वाराह की, कोई नहीं मलाल। चर्बी चढ़ी दिमाग़ पर, वही बनी है काल।।

भारतेंदु हरिश्चंद्र की पुण्यतिथि पर जाने सबकुछ

युग प्रवर्तक बाबू भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितम्बर सन् 1850 को काशी के प्रसिद्ध

प्रमोद तिवारी की कविता : “प्रथम जीव”

“प्रथम जीव” जीव एक था न तब, सूर्य टूटता था जब, पिंड कई बन गये,

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डीपी सिंह की कुण्डलिया

बैठे हैं नव वर्ष में, जाल लिए मुस्तैद। जैसे गुजरेगी ख़ुशी, कर लेंगे हम क़ैद।।

गोपाल नेवार की कविता : “फूल की सादगी”

“फूल की सादगी” ************** पौधों की शान हूँ मैं कली से फूल में परिवर्तित होकर

“बंटवारा” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

पैतृक सम्पति सम्बन्धित अपनी संतानों में बंटवारे सम्बन्धित समस्या को केंद्र कर लिखी गई मेरी