नाम शोहरत काम नहीं अंजाम नहीं

सबसे पहले इस आलेख को किसी व्यक्ति के पक्ष विपक्ष से जोड़कर नहीं निरपेक्ष भावना

ज़िंदगी पर सबका एक सा हक़ हो

साल नया है नया ज़माना अभी तक आया नहीं है। लोग भूल गए ऐसी कहानियों

सोशल मीडिया पर सर्टिफिकेट्स का गोरखधंधा

(सोशल मीडिया पर न करें पैसों का लेनदेन) 21वीं सदी में हमारी चाल, चरित्र और

किसान होना क्या होता है

मोदी जी उनके दल के विधायक सांसद अन्य दलों के नेताओं कुछ पढ़े लिखे कुछ

किसान की ताकत किसान का हौंसला

मुझे इक महान विदेशी जानकार की कही बात याद आई है। उनका नाम भूल गया

जीवन भर साथ निभाने की बात

महिलाओं को मना किया है क्योंकि कहते हैं उनको बताई बात राज़ नहीं रहती है।

जनसेवकों के लिए न्यूनतम समर्थन वेतन तय हो

सबसे पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य का मकसद समझते हैं। किसान को समझाया जाता रहा है

अन्नदाता तुम आना जब दिल्ली बुलाए ( मरी हुई संवेदना )

किसानों को दिल्ली आने से रोकना सत्ता का अनुचित इस्तेमाल कर तमाम तरह से ,

कितनी लाशों पे अभी तक, एक चादर सी पड़ी है

जाँनिसार अख़्तर जी की ग़ज़ल से दो शेर उधार ले रहा हूं। आज 27 नवंबर

आखिर क्यों दुर्व्यवहार की शिकार हो रही है देश में महिलाएँ?

21वी सदी में बेटियां जहाँ एक ओर कामयाबी की नित नई सीढ़िया चढ़ रही है,