भारत को विकसित राष्ट्र बनाने, 100% साक्षरता सुनिश्चित करने, मिशन मोड में अभियान चलाएं

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, विकसित राष्ट्र बनाने गेम चेंजर साबित होगी
शिक्षकों, अभिभावकों व बुद्धिजीवियों हर व्यक्ति को साक्षर अभियान के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ काम करने की जरूरत- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर मानव बुद्धि का लोहा आज हर स्तर पर सशक्त और काबिले तारीफ़ माना जा रहा है। जिसने दशकों पूर्व किसी जमाने में पैदल चलने वाले, प्राकृतिक पत्तों और चीजों से तन ढकने वाले और जंगलों में जीवन यापन कर खाद्य जुटाने वाले मानव को न सिर्फ आज के डिजिटल युग में पहुंचा दिया है, बल्कि मानवता को आग की खोज से लेकर खेती, आसमान में उड़ने से लेकर सितारों के बीच चलायमान वह अंतरिक्ष के दक्षिणी ध्रुव में पहुंचने के काबिल तक बना दिया है और आगे चांद पर रहवासी, घर बनाकर मानव कालोनियां स्थापित करने की ओर कदम बढ़ा दिया है तथा पृथ्वी लोक पर सब कुछ आर्टिफिशियल बना के रख दिया है। वाह रे मानव बौद्धिक क्षमता का कमाल! यह सब शिक्षा और ज्ञान की इच्छा शक्ति और ज़िद्द ने पूर्ण किया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे। शिक्षा और ज्ञान यही मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है और यहीं से मानव बौद्धिक संपदा की नींव पड़ती है जो आगे चलकर तेज़ी से विकास की सीढ़ी पर चढ़कर अपनी कामयाबी के मंजिलों तक पहुंचाती है।

शिक्षा और ज्ञान को भारतीय संस्कृति, सभ्यता में मां सरस्वती के अस्त्र के रूप में जाना जाता है। प्राय: बच्चों को ध्यान होगा कि आज भी हर शुक्रवार को अधिकतम शिक्षण संस्थाओं में मां सरस्वती की वंदना, पूजा की जाती है। यह बात हम आज इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि दिनांक 8 सितंबर 2024 को शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यूनेस्को के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2024 मनाया। इस वर्ष के आयोजन का विषय, विभिन्न भाषाओं के माध्यम से साक्षरता को बढ़ावा देना था, जिसमें भारत के विविध समुदायों में साक्षरता के स्तर में सुधार करने में भाषाई विविधता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। जिसमें माननीय उपराष्ट्रपति, शिक्षा राज्य मंत्री सहित अनेक वक्ताओं ने अपना विचार व्यक्त किया। चूंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विकसित राष्ट्र बनाने में गेम चेंजर साबित होगी इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। शिक्षकों, अभिभावकों व बुद्धिजीवियों हर व्यक्ति को साक्षर अभियान के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ काम करने की जरूरत है।

साथियों बात अगर हम दिनांक 8 सितंबर 2024 को शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यूनेस्को के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2024 मनाने की करें तो, नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया, किसी व्यक्ति को शिक्षित करके आप जो खुशी और आनंद प्रदान करते हैं, चाहे वह पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो या लड़की हो, वह असीम है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि इससे आपको कितनी खुशी मिलेगी। यह सकारात्मक तरीके से फैलेगा। यह मानव संसाधन विकास में आपकी ओर से की जा सकने वाली सबसे बड़ा सकारात्मक कार्य होगा।

अपने संबोधन में उन्होंने सभी से साक्षरता को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम मिशन मोड में जल्द से जल्द 100% साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन है कि यह लक्ष्य हमारी सोच से भी पहले हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति एक व्यक्ति को साक्षर बनाए, यह विकसित भारत के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने आगे कहा, शिक्षा एक ऐसी चीज है, जिसे कोई चोर आपसे छीन नहीं सकता। कोई सरकार इसे आपसे छीन नहीं सकती, न तो रिश्तेदार और न ही दोस्त इसे आपसे छीन सकते हैं। इसमें कोई कमी नहीं आ सकती। यह तब तक बढ़ती रहेगी और बढ़ना जारी रखेगी जब तक आप इसे साझा करते रहेंगे।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि साक्षरता को जुनून के साथ आगे बढ़ाया जाए, तो भारत नालंदा और तक्षशिला की तरह शिक्षा के केंद्र के रूप में अपना प्राचीन दर्जा पुनः प्राप्त कर सकता है। उन्होंने शिक्षा नीति (एनईपी) को अभी तक नहीं अपनाने वाले राज्यों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह नीति देश के लिए एक बड़ा बदलाव लानेवाली है। उन्होंने कहा, यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे युवाओं को उनकी प्रतिभा और ऊर्जा का पूरा उपयोग करने का अधिकार देती है,जिसमें सभी भाषाओं को उचित महत्व दिया गया है। मातृभाषा के विशेष महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि यह वह भाषा है, जिसमें हम सपने देखते हैं।

उन्होने भारत की अद्वितीय भाषाई विविधता पर जोर देते हुए कहा, भारत जैसा दुनिया में कोई देश नहीं है। भाषा की समृद्धि के मामले में हम एक अनूठे राष्ट्र हैं, जिसमें कई भाषाएँ मौजूद हैं। राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों के बारे में उन्होंने कहा कि सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने का अवसर दिया जाता है। उन्होंने कहा, जब मैं उन्हें उनकी भाषा में बोलते हुए सुनता हूँ, तो मैं अनुवाद सुनता हूँ, लेकिन उनकी शारीरिक भाषा ही मुझे बता देती है कि वे क्या कह रहे हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति में ऋषि परंपरा के गहन महत्व पर भी प्रकाश डाला और सभी से आग्रह किया कि वे छह महीने के भीतर कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लें, ताकि साल के अंत तक हम दो व्यक्तियों को शिक्षित करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकें।

पिछले दशक में भारत की परिवर्तनकारी प्रगति की सराहना करते हुए, उन्होने इस बात पर जोर दिया कि कैसे हर घर में बिजली पहुंचाने जैसी उपलब्धियां, जो कभी अकल्पनीय थीं, अब एक वास्तविकता है और भविष्य के लक्ष्य सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भरता पर केंद्रित हैं। उन्होंने ग्रामीण विकास पर विचार किया, हर घर में शौचालय और व्यापक डिजिटल संपर्क सुविधा जैसे महत्वपूर्ण कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे दूरदराज के गांवों में 4जी की पहुंच ने सेवा अदायगी में क्रांति ला दी है, जिससे दैनिक काम आसान हो गए हैं और आवश्यक सेवाओं के लिए लंबी कतारों की जरूरत खत्म हो गई है।

साथियों बात अगर हम 8 सितंबर 2024 को उद्घाटन करते हुए शिक्षा राज्यमंत्री के संबोधन की करें तो उन्होने स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार, महिलाओं को सशक्त बनाने और सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साक्षरता केवल विकास का लक्ष्य नहीं है; यह हमारे विकसित भारत के चरित्र की नींव है।उन्होने उल्लास की अनूठी विशेषता पर प्रकाश डाला जो स्वयंसेवा और सामुदायिक भागीदारी की भावना के साथ कर्तव्य की भावना, कर्तव्य बोध है। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के विजन के लिए पीएम के प्रति आभार व्यक्त किया, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए समावेशी भागीदारी और भारतीय भाषाओं के उपयोग पर जोर देता है।

उन्होने कहा कि इस विजन को एनईपी-2020 के माध्यम से साकार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भाषाई बाधाओं को दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि भाषा किसी भी शिक्षार्थी की शैक्षिक यात्रा में बाधा न बने। उन्होने इस बात पर जोर दिया कि सभी को साक्षर बनाने की दिशा में हमारे प्रयास एक वैश्विक मिशन का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह यूनेस्को के सहयोग से इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों और लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की दिशा में काम चल रहा है, ताकि एक ऐसी दुनिया बनाई जा सके, जहां हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार हो और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि साक्षरता केवल राष्ट्रीय प्राथमिकता नहीं है; यह एक वैश्विक अनिवार्यता है, जिसके भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उल्लास पहल को पूरी तरह अपनाने और 2030 तक पूर्ण साक्षरता हासिल करने की दिशा में अथक प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने याद दिलाया कि यह केवल सरकारी प्रयास नहीं है, यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आइए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने 100% साक्षरता सुनिश्चित करने मिशन मोड में अभियान चलाएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, विकसित राष्ट्र बनाने में गेम चेंजर साबित होगी। शिक्षकों, अभिभावकों व बुद्धिजीवियों हर व्यक्ति को साक्षर अभियान के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ काम करने की जरूरत है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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