उम्रदराज राजनीतिज्ञ व परिवारवाद की राजनीति में कई गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली टैलेंटेड प्रतिभाएं दब जाती है
दुनियां में जहां भी बदलाव हुए हैं वहां तरुणाई ने हमेशा नेतृत्व किया है- युवा देश में युवा राजनीति का नया दौर हो- एड. के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में अपनें मासिक मन की बात रेडियो कार्यक्रम की 113वीं कड़ी में 25 अगस्त 2024 को माननीय पीएम नें बताया कि लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2024 के संबोधन में बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं के राजनीति में शामिल होने के आह्वान किया था जिससे युवाओं की ओर से व्यापक प्रतिक्रियाए मिली है। उन्होंने युवाओं से विकसित भारत तथा मजबूत लोकतंत्र के लिए सार्वजनिक जीवन में आने का आग्रह किया था। पीएम ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेक लोग सामने आए थे जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। इन लोगों ने खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी भावना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में युवा राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं और बस उन्हें सही मौके तथा सही मार्गदर्शन की तलाश है।
मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि इसके क्रियान्वयन के लिए 60 प्लस नेताओं को राजनीति से संन्यास लेने के लिए प्रेरित, बंधन कारक, अनिवार्य, जबरन रिटायरमेंट बनाने के लिए हर राजनीतिक दल को सख्त नीति बनाने की आवश्यकता है। चुकी मैंने भी अपनी छोटी सी राइस सिटी गोंदिया नगरी में देखा है कि यहां 70 प्लस वाले भी रजिस्टर्ड नवयुवक सेवा मंडल के अध्यक्ष बन रहे हैं, तो 60 प्लस वाले भी रजिस्टर्ड पंचायत, संगठनों, संस्थाओं के अध्यक्ष बने हुए हैं तो कई पर्दे के पीछे 60 प्लस वाले कई संस्थाओं संगठनों पर नियंत्रण रखे हुए हैं। फिर पंचायत समिति से लेकर संसद सदस्य तक और पार्षद से लेकर केंद्रीय व राज्य स्तर पर मंत्रिमंडल में भी हम 60 प्लस वालों को देख सकते हैं तो फिर लाखों युवा बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वालों की चांस लगाना क्या संभव है? इसको रेखांकित करना जरूरी है। बता दें वैश्विक स्तर पर किसी भी राष्ट्र के निर्माण में युवा वर्ग एक अहम भूमिका निभाता है। युवा वर्ग शारीरिक और मानसिक रूप से किसी भी कार्य को कुशलता पूर्वक करने में सक्षम होता है। हर व्यक्ति जीवन के इस दौर से गुजरता है।
युवाओं को उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और विभिन्न क्षेत्रो में अपना योगदान देना चाहिए।किसी भी राष्ट्र में कुल जनसंख्या का 20-30 जबकि भारत में विशेष रूप से 65 प्रतिशत हिस्सा युवा हैं। किसी भी राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाने में युवा वर्ग का सर्वाधिक योगदान रहा है। राष्ट्र की प्रगति विज्ञान, प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य, प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों में विकास पर निर्भर होती है। इन सभी मानदंडों को पूरा करने के लिए सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर युवाका सशक्तीकरण आवश्यक है। युवा राष्ट्र का संरचनात्मक और कार्यात्मक ढांचा है। हर राष्ट्र की सफलता का आधार उसकी युवा पीढ़ी और उनकी उपलब्धियाँ होती हैं। राष्ट्र का भविष्य युवाओं के सर्वांगीण विकास में निहित है। इसलिए युवा राष्ट्र निर्माण में सर्वोच्च भूमिका निभाते हैं। जिस तरह से इंजन को चालू करने के लिए इंधन जिम्मेदार होता है; ठीक उसी तरह युवा राष्ट्र के लिए है। यह राष्ट्र की प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है।किसी भी राष्ट्र को प्रौद्योगिकियों, शोध, विज्ञान, चिकित्सा, यानी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक के संदर्भ में प्रगति और विकास के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
जब युवा अपने प्रयासों के साथ ईमानदारी से यही काम करता हैं, तो इसे चिह्नित किया जाता है। भारत में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या है, जिन्हें यदि बेहतर तरह से पोषित किया जाये और अगर ये अपना प्रयास सही दिशा में लगाते हैं, तो यह देश पूरी दुनिया में सबसे उत्कृष्ट बन जायेगा। चूंकि आज विकसित भारत बनाने में यंग माइंड्स की प्रभावशाली भागीदारी जरूरी है इसलिए आज हम पीएम के संबोधन का संज्ञान लेकर तथा मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, एक लाख युवाओं को राजनीति में शामिल होने का आह्वान @ 60 प्लस को राजनीतिक संन्यास का आह्वान उम्रदराज राजनीतिज्ञ व परिवारवाद की राजनीति में कई गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली टैलेंटेड प्रतिभाएं दब जाती है। दुनियां में जहां भी बदलाव हुए हैं वहां तरुणाई ने हमेशा नेतृत्व किया है।
साथियों बात अगर हम 25 अगस्त 2024 को माननीय पीएम की मासिक मन की बात की 113वीं कड़ी में उनके विचारों की करें तो उन्होंने कहा इस साल मैंने लाल किले से बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख युवाओं को पॉलीटिकल सिस्टम से जोड़ने का आवाह्न किया है। मेरी इस बात पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है। इससे पता चलता है कि कितनी बड़ी संख्या में हमारे युवा, राजनीति में आने को तैयार बैठे हैं। बस उन्हें सही मौके और सही मार्गदर्शन की तलाश है। इस विषय पर मुझे देश-भर के युवाओं के पत्र भी मिले हैं। सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। लोगों ने मुझे कई तरह के सुझाव भी भेजे हैं। कुछ युवाओं ने पत्र में लिखा है कि ये उनके लिए वाकई अकल्पनीय है।दादा या मातापिता की कोई राजनीतिक विरासत नहीं होने की वजह से, वो राजनीति में चाहकर भी नहीं आ पाते थे।
कुछ युवाओं ने लिखा कि उनके पास जमीनी स्तर पर काम करने का अच्छा अनुभव है, इसलिए वे लोगों की समस्याओं को सुलझाने में मददगार बन सकते हैं। कुछ युवाओं ने ये भी लिखा कि परिवारवादी राजनीति, नई प्रतिभाओं का दमन कर देती है। कुछ युवाओं ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। मैं इस विषय पर सुझाव भेजने के लिए हर किसी का धन्यवाद करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि अब हमारे सामूहिक प्रयास से ऐसे युवा, जिनका कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, वे भी राजनीति में आगे आ सकेंगे, उनका अनुभव और उनका जोश, देश के काम आएगा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी समाज के हर क्षेत्र से ऐसे अनेकों लोग सामने आए थे, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्टभूमि नहीं थी। उन्होनें खुद को भारत की आजादी के लिए झोंक दिया था। आज हमें विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए एक बार फिर उसी स्पिरिट की जरूरत है। मैं अपने सभी युवा साथियों को कहूँगा इस अभियान से जरूर जुड़ें। आपका ये कदम अपने और देश के भविष्य को बदलने वाला होगा।
साथियों बात अगर हम युवाओं पर भारत की करें तो भारत लोकतंत्र की जननी है। देश की विविधता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। हमें अपनी विविधता को सबसे बड़ी ताकत बनाते हुए देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जी-जान से जुटना होगा। वर्तमान समय की यह बड़ी उपलब्धि रही है कि देशवासियों में भारतीयता की सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है। इसी सामूहिक चेतना के कारण भारत के विकसित राष्ट्र का संकल्प और मजबूत हो रहा है। आज जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाला भारत पहला राष्ट्र है। आज समूचा विश्व भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। वर्तमान कुशल नेतृत्व और त्वरित निर्णय शक्ति के कारण आज दुनिया के शक्तिशाली देश भी तमाम समस्याओं के समाधान के लिए भारत को मार्गदर्शक के तौर पर देखने लगे हैं। राष्ट्र को विकसित बनाने में युवाओं की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भागीदारी हो सकती है। आगामी 25 वर्षो में भारत को विकसित देशों की श्रेणी में शामिल करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा।
पीएम का भाषण आजादी के अमृत काल में युवाओं के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करेगा। आज जब हम आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं तो यह पिछले 75 वर्षो में देश के संकल्पों को पूरा करने वाले सभी लोगों के योगदान का स्मरण करने का अवसर है। साथ ही अमृत काल के आने वाले 25 वर्षो पर अपनी शक्ति और सामथ्र्य को केंद्रित भी करना है। तभी वर्ष 2047 में एक शक्तिशाली और विकसित राष्ट्र का सपना साकार होगा। युवा वर्ग देश का भविष्य होने के साथ-साथ हमारे देश के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में युवाओं की संख्या अन्य देशों से अधिक है। भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। सरकार का पूरा ध्यान युवाओं के माध्यम से विकास लाने पर केन्द्रित है। उनके अनुसार युवा देश के विकास के लिए अपना सक्रिय योगदान प्रदान करें न कि केवल उसका एक हिस्सा बनकर रह जाए।
सरकार द्वारा पेश की गई राष्ट्रीय युवा नीति-2014 का उद्देश्य युवाओं की क्षमताओं को पहचानना और उसके अनुसार उन्हें अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना और इसके माध्यम से विश्व भर में भारत को उसका सही स्थान दिलाना है। युवाओं के व्यक्तित्व में सुधार लाने, उनमें नेतृत्व के गुण विकसित करने एवं उनमें ज़िम्मेदार नागरिक के गुण और स्वयंसेवा की भावना उत्पन्न करने के उद्देश्य से युवा मामले विभाग ने विभिन्न कार्यक्रमों को कार्यान्वित किया है। युवा देश की आबादी का सबसे जीवंत और संसाधन पूर्ण हिस्सा है, इनकी सामाजिक, आर्थिक विकास के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका है।गरीबी से बाहर आने एव आजीविका विकास के लिए उनकी आंतरिक क्षमताओं को बाहर लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिससे कि वे स्वस्थ एवं सार्थक जीवन यापन कर सकें। पीएम ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो रोडमैप साझा किया, उसे धरातल पर उतारने की पहली जिम्मेदारी देश के युवाओं की है। कहते हैं जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है।
साथियों बात अगर हम युवा भारत के संबंध में माननीय पीएम के विचारों की करें तो, उन्होंने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया है। विकसित भारत की इस संकल्पना को साकार रूप देने में युवा आबादी की अहम भूमिका होगी। इस भूमिका के लिए युवाओं को तैयार करने का बीड़ा शिक्षा मंत्रालय ने उठाने का फैसला किया है। इस मिशन के लिए शिक्षा मंत्रालय युवाओं को दो तरह से तैयार करेगा। एक तो उन्हें विकसित भारत मिशन के लिए जागरूक मानवीय शक्ति के रूप में निखारा जाएगा। दूसरा, इस लक्ष्य में उनकी सलाह लेकर उन्हें समूची प्रक्रिया में शामिल कर उन्हें इस मिशन के प्रभावी सक्रिय तत्व के रूप में विकसित करने की दिशा में काम किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी कई संस्थाओं ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के साथ इस दिशा में कई कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि एक लाख़ युवाओं को राजनीति में शामिल होने का आह्वान @ 60 प्लस को राजनीतिक संन्यास का आह्वान। उम्रदराज़ राजनीतिज्ञ व परिवारवाद की राजनीति में कई गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाली टैलेंटेड प्रतिभाएं दब जाती है। दुनियां में जहां भी बदलाव हुए हैं वहां तरुणाई ने हमेशा नेतृत्व किया है- युवा देश में युवा राजनीति का नया दौर हो।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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