कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर एक व्यक्ति की तलाक मंजूर कर लिया। पत्नी का परिवार और उसका दोस्त पति के घर पर ही रहता था, हाई कोर्ट ने इसी आधार पर तलाक की मंजूरी दे दी। बेंच ने कहा कि पत्नी के दोस्त और परिवार का पति की इच्छा के विरुद्ध लगातार उसके घर पर रहना क्रूरता के बराबर हो सकता है।
मामला बंगाल का है। पति ने शादी के तीन साल बाद 2008 में तलाक के लिए आवेदन किया था। उनकी शादी नवद्वीप में हुई और वे कोलाघाट चले गए। उसी साल पत्नी नारकेलडांगा चली गई, उसने दावा किया कि सियालदह में काम करने के कारण यह उसके लिए अधिक सुविधाजनक था।
कोर्ट में जिरह के दौरान महिला ने दावा किया कि वह असहाय स्थिति के कारण बाहर चली गई थी। पति ने क्रूरता का आरोप इस आधार पर लगाया कि वे अलग रह रहे थे और पत्नी का वापस लौटने का इरादा नहीं था। उसने यह भी तर्क दिया कि तलाक के मामले के लंबित रहने के दौरान वह 2016 में उत्तरपाड़ा चली गई थी।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि वह कोलाघाट के बजाय उत्तरपाड़ा चली गई, जो सियालदह से काफी दूर है। पति ने यह भी आरोप लगाया कि वह वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती थी। उन्होंने 2008 में तलाक के लिए आवेदन करने के एक महीने बाद पत्नी ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दायर की।
पति ने इस पर प्रकाश डाला, जहां उन्हें ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। पत्नी ने पति पर असभ्य और लालची होने का आरोप लगाया, जिसने उसे अपना वेतन उसे सौंपने के लिए मजबूर किया और उसकी मां की पेंशन पर नज़र रखी। अदालत ने कहा, ‘इसके विपरीत सबूत ऐसे आरोपों को झूठा साबित करते हैं।
यदि अपीलकर्ता ने उसकी पेंशन या प्रतिवादी के कमाए हुए पैसे हड़प लिए होते तो प्रतिवादी की मां अपीलकर्ता के कोलाघाट निवास पर नहीं रहती।’ इस कपल की शादी 2005 में नवद्वीप में हुई थी।
वे 2006 में कोलाघाट चले गए, जहां पति काम करता था। पत्नी 2008 में नारकेलडांगा में अपने सर्विस क्वार्टर में चली गई। फिर वह 2016 में उत्तरपारा चली गई। निचली अदालत ने उल्लेखित आधार पर तलाक के लिए पुरुष के आवेदन को खारिज कर दिया।
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