Kolkata Hindi News, नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में एमबीबीएस की पढ़ाई में दाखिले के लिए कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ के आदेश देने और उसके एक खंडपीठ के आदेश को अवैध घोषित करने से उत्पन्न अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाते हुए कहा कि वह इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय विशेष संविधान पीठ ने ‘स्वत: संज्ञान’ लेकर सुनवाई की और आदेश पारित किया।
संविधान पीठ की इस विशेष सुनवाई के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय और फर्जी प्रमाण पत्र से जुड़े मामले में मूल याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया।
यह स्वत: संज्ञान मामला पश्चिम बंगाल में एमबीबीएस प्रवेश में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच के लिए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की एकल पीठ और न्यायमूर्ति सेन कि अध्यक्षता वाली खंडपीठ के एक-दूसरे के निर्देशों पर रोक लगाने के आदेशों से उत्पन्न अभूतपूर्व विवाद से जुड़ा हुआ है।
शीर्ष अदालत ने 26 जनवरी को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था। शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरामनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उस प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाया, जहां खंडपीठ ने (कथित तौर पर) बिना अपील के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने कहा, “हम इस स्तर पर प्रथम दृष्टया कोई निर्णय नहीं लेना चाहते हैं। कभी-कभी असाधारण परिस्थितियों में ऐसा किया जा सकता है।”
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि फांसी या तोड़फोड़ आदि के मामले में ऐसा किया जा सकता है। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वह इस मामले में 24 और 25 जनवरी 2024 को एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील दायर करेंगे।
मेहता ने यह भी कहा कि वे कानून की प्रक्रिया पर अदालत की सहायता के लिए एक नोट दाखिल करेंगे।कलकत्ता उच्च न्यायालय में असामान्य घटनाक्रम 25 जनवरी को हुआ, जिसके एक दिन बाद बड़ी पीठ ने पश्चिम बंगाल में एमबीबीएस प्रवेश में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच के लिए न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के निर्देश पर रोक लगा दी थी।
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