कलकत्ता हाईकोर्ट ने मेट्रो डेयरी विनिवेश में सीबीआई जांच से किया इनकार

कोलकाता । कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने सोमवार को कथित मेट्रो डेयरी घोटाले में सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व संयुक्त उद्यम (ज्वाइंट वेंचर), मेट्रो डेयरी लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश की पश्चिम बंगाल सरकार की कार्यवाही की सीबीआई जांच की मांग को खारिज किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने कहा कि चूंकि राज्य सरकार ने शेयरों की किसी भी अपारदर्शी बिक्री को नहीं अपनाया है, इसलिए इस प्रक्रिया में अदालत के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि विनिवेश प्रक्रिया न तो मनमानी थी और न ही अवैध।

कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह फैसला पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डब्ल्यूबीपीसीसी) के अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ सांसद अधीर रंजन चौधरी की एक याचिका पर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने मेट्रो डेयरी लिमिटेड में अपनी 47 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया था। चौधरी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि विनिवेश से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।

इस याचिका में, चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने 2017 में अपनी 47 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी इकाई केवेंटर समूह को केवल 85 करोड़ रुपये की मामूली कीमत पर बेच दी थी। चौधरी ने बताय कि उसी वर्ष केवेंटर समूह ने उस 47 प्रतिशत का 15 प्रतिशत हिस्सा सिंगापुर स्थित एक इकाई को 135 करोड़ रुपये में बेच दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने मई 2017 में मेट्रो डेयरी लिमिटेड में खुली निविदा बुलाकर या इस संबंध में किसी समाचार पत्र में कोई विज्ञापन देकर अपनी हिस्सेदारी का विनिवेश किया।

बता दें कि मेट्रो डेयरी लिमिटेड की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम पेश हुए थे। पिछले महीने, जब वह सुनवाई के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय आए, तो कांग्रेस से जुड़े अधिवक्ताओं के एक समूह ने उनका विरोध किया और ‘गो-बैक’ के नारे लगाए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस घटनाक्रम के बाद चिदंबरम को कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लेना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen − eleven =