कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक SSC भर्ती घोटाले में याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनीं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल चयन आयोग द्वारा सरकारी स्कूलों में 24,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्तियां रद्द कर दी गई।
न्यायालय ने हितधारकों की 5 मुख्य श्रेणियों की पहचान की: (1) पश्चिम बंगाल सरकार; (2) WBSSC; (3) मूल याचिकाकर्ता – जिनका चयन नहीं हुआ (कक्षा 9-10, 11-12, समूह C और D का प्रतिनिधित्व करते हैं); (4) वे व्यक्ति जिनकी नियुक्तियां हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई; (5) केंद्रीय जांच ब्यूरो, कुख्यात कैश-फॉर-जॉब भर्ती घोटाले के कारण नौकरियां जांच के दायरे में आ गईं।
SSC द्वारा नियुक्त कुछ शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट के आदेश में CFSL, कोलकाता को दिए गए OMR शीट डेटा वाली 3 हार्ड डिस्क के फोरेंसिक मूल्यांकन को ध्यान में नहीं रखा गया।
इससे पहले, CBI ने तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ को सूचित किया कि OMR की छवियों को डेटा स्कैनटेक सॉल्यूशंस द्वारा NYSA कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को डिजिटल रूप में सौंप दिया गया, जिससे OMR शीट की मूल हार्ड कॉपी SSC के कार्यालय में रह गई।
CBI की रिपोर्ट के अनुसार, SSC ने OMR प्रतिक्रियाओं के मूल्यांकन के लिए सभी विषयों की उत्तर कुंजियाँ NYSA कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दीं। CBI ने जांच के दौरान SSC के सर्वर डेटाबेस को जब्त कर लिया।
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