कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर गलत आचरण के लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय से निष्कासित तीन छात्रों को कक्षाओं में दोबारा शामिल होने की बुधवार को अनुमति दी। अदालत के इस फैसले के बाद संस्थान में हालात सामान्य होने की उम्मीद है। न्यायमूर्ति राजशेखरन मंथा ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि तीन वर्षों के लिए छात्रों को निष्कासित करना कठोर और हद से ज्यादा है। अदालत ने कहा कि छात्रों को कक्षाओं में जाने की मंजूरी दी जाती है।
उच्च न्यायालय ने तीन सितंबर को एक अन्य अंतरिम आदेश में कहा था कि संस्थान के 50 मीटर के दायरे में कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया जाए। आदेश में पुलिस को कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के आवास के बाहर चल रहे सभी प्रदर्शनों को समाप्त कराने,बैनर, अवरोधक आदि हटाने के भी आदेश दिए। अदालत ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सामान्य गतिविधियां तत्काल बहाल कराने के लिए निर्देश दिए। इसबीच प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अदालत का आदेश आने के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया।
निष्कासित किए गए तीन छात्रों में से एक सोमनाथ सॉ ने कहा,‘‘ हम खुश हैं, लेकिन कुलपति की अलोकतांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा।’’ उन्होंने कहा,‘‘ हमारा करियर बच गया, न्यायपालिका का आभार है।’’ कुलपति के आधिकारिक आवास से 60 मीटर से अधिक दूरी पर अनशन पर बैठे विश्वभारती विश्वविद्यालय फैकल्टी संघ के पदाधिकारी सुदीप्तो भट्टाचार्य ने संगीत विभाग के एक अन्य छात्र के साथ अपना अनशन समाप्त कर दिया।