कोलकाता। केंद्रीय गृह मंत्री बंगाल दौरे पर जाने वाले है। इससे पहले पहले प्रदेश भाजपा ने फिर संशोधित नागरिकता कानून का मुद्दा उठाया है। प्रदेश भाजपा ने कहा कि इस मुद्दे को गृह मंत्री के समक्ष उठाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री तथा मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले शांतनु ठाकुर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। हाल में उन्होंने इस सिलसिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी। राजनीतिक गलियारों के मुताबिक यह रणनीति पार्टी के एक वर्ग में पैदा हुए असंतोष से निपटने के लिए अपनाई गई है। बता दें कि बंगाल में मतुआ समुदाय जल्द से जल्द संशोधित नागरिकता कानून लागू करने की मांग कर रहा है।
बंगाल में मतुआ समुदाय की आबादी 70 लाख के आसपास है। इनके पास देश की नागरिकता नहीं है। दरअसल ये देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थी हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस मुद्दे को गृह मंत्री के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों, बांग्लादेश के हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करना हमारा घोषित कार्यक्रम है। गृह मंत्री से इसे लागू करने के लिए कहा जाएगा। धारा 370 के उन्मूलन की तरह ही संशोधित नागरिकता कानून को लागू करना हमारी प्रतिबद्धता है। भाजपा अपने घोषित वादों से कभी पीछे नहीं हटी है। हम चाहते हैं कि इस पर तेजी से काम किया जाए।
मतुआ समुदाय यानी कि बंगाल में एससी आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा। बंगाल की 30 विधानसभा सीटों पर मतुआ वोटर प्रभावी है, जबकि कुल 70 सीटों पर उनकी अच्छी-खासी आबादी है। वैसे तो मतुआ की आबादी बंगाल में करीब दो करोड़ होने की बात कही जाती है, लेकिन कहा जाता है कि इनकी संख्या एक करोड़ से कम भी नहीं है। यह सभी अनुसूचित जाति की श्रेणी में आते हैं। बंगाल में करीब 25 फीसद एससी आबादी है जिनमें 17 फीसद मतुआ के होने की बात है। जिन्हें किसी तरह का झुनझुना नहीं, केवल नागरिकता चाहिये।