नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा कि अमेजॉन, वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट और कई अन्य विदेशी-वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियां पांच साल से अधिक समय से न केवल ई-कॉमर्स पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से सभी प्रकार के अनैतिक व्यापार प्रथाओं में शामिल हैं, बल्कि भारत के खुदरा व्यापार तक पर कब्जा जमाने की कोशिश में हैं। व्यापारियों के संगठन ने कहा कि उनके भयावह डिजाइनों ने देश के ई-कॉमर्स परिदृश्य को बहुत खराब कर दिया है।
ऐसी स्थिति को देखते हुए, कैट सोमवार से 21 जून तक ‘ई-कॉमर्स शुद्धिकरण सप्ताह’ शुरू करने जा रहा है, जिसे देशभर के हजारों व्यापार संघों का भारी समर्थन मिल रहा है।
ई-कॉमर्स शुद्धिकरण अभियान के दौरान देशभर के व्यापारिक संगठन देश के सभी राज्यों के जिला कलेक्टरों को एक ज्ञापन सौंपेंगे। दूसरी ओर, व्यापार प्रतिनिधिमंडल अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों से मिलेंगे और उनसे सरकार की ई-कॉमर्स नीति में एफडीआई के सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य में ई-कॉमर्स व्यापार के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का आग्रह करेंगे।
इसके साथ ही, व्यापार संघ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक ई-मेल भेजकर सीसीआई को अमेजॅन और फ्लिपकार्ट के व्यापार मॉड्यूल की जांच शुरू करने के लिए तत्काल निर्देश देने का आग्रह करेंगे। कैट ने इस मुद्दे पर देशभर में एक डिजिटल हस्ताक्षर अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है।
कैट ने कहा कि पिछले एक साल में भारत में ई-कॉमर्स कारोबार में 36 फीसदी की वृद्धि हुई है, खासकर पर्सनल केयर, ब्यूटी और वेलनेस बिजनेस में। किराना, एफएमसीजी उत्पादों में 70 फीसदी और 27 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स में टियर 2 और टियर 3 शहरों में ई-कॉमर्स कारोबार वर्ष 2019 में 32 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020 में 46 प्रतिशत हो गया है। दूसरी ओर, भारत में स्मार्ट फोन के उपयोग की घातीय वृद्धि ई-कॉमर्स व्यवसाय के विस्तार में प्रमुख योगदान दे रही है।
निकाय ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी कंपनियों ने देश के सभी कानूनों की अवहेलना की, उससे प्रीडेटरी प्राइसिंग, डीप डिस्काउंटिंग, लॉस फंडिंग व इन्वेंट्री को नियंत्रित करने और तरजीही विक्रेताओं को अपनाए जाने से भारत में छोटे व्यवसायों का भारी नुकसान हुआ है।
सीएआईटी (कैट) ने कहा कि इन तथाकथित बाजारों के पूंजी डंपिंग के खेल ने देश की उद्यमशीलता कौशल और मानव पूंजी को खत्म कर दिया है, जो एक अपराध है। इसमें कहा गया है कि किसी भी देश की मानव पूंजी को बेकार बनाने, उन्हें उनके व्यवसायों से विस्थापित करने और इन पूंजीपतियों द्वारा उनकी आजीविका का अतिक्रमण करने पर केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
कैट ने कहा कि अन्य विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स पोर्टलों द्वारा अवैध और अनैतिक व्यापार प्रथाओं के कारण देश का ई-कॉमर्स व्यवसाय अत्यधिक व्यस्त और विषाक्त हो गया है। इसलिए, देश के ई-कॉमर्स परि²श्य को शुद्ध करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि एक छोटा व्यापारी भी ई-कॉमर्स व्यवसाय को अपना राजस्व बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त अवसर के रूप में स्वीकार कर सके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत बना सके।
देशभर के व्यापारी इस खाते में किसी भी चुनौती को लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और उन्होंने ई-कॉमर्स व्यवसाय को सभी बुराइयों से मुक्त करने का दृढ़निश्चय किया है। शुद्धिकरण अभियान को सफल बनाने के लिए देशभर के 40 हजार से अधिक व्यापार संगठन पूरे उत्साह के साथ जुड़ेंगे।”