नई दिल्ली। राज्य में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र के विस्तार के खिलाफ पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव के बाद सुरक्षा बल के सूत्रों का कहना कि यह एक सीमा सुरक्षा बल है और केंद्र सरकार के आदेशानुसार सीमाओं की रक्षा करना जारी रखेगा। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को राज्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 50 किलोमीटर तक बढ़ाने के केंद्र के कदम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। पंजाब विधानसभा ने भी 11 नवंबर को ऐसा ही एक प्रस्ताव पारित किया था। बीएसएफ के सूत्रों ने यह भी कहा कि इसका केंद्र-राज्य की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और यह सरकार के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है।
पश्चिम बंगाल और पंजाब के विरोध को एक सरासर ‘राजनीतिक’ कदम बताते हुए, बीएसएफ के पूर्व डीजी प्रकाश सिंह ने हाल ही में कहा कि नई अधिसूचना के तहत, बीएसएफ को केवल पासपोर्ट अधिनियम 1967, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की निर्दिष्ट धाराओं के तहत ऐसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की तलाशी और गिरफ्तारी करना अनिवार्य किया गया है, जो अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर रहा हो। सिंह ने इससे पहले यह भी कह था कि जो पंजाब सरकार का दावा है कि आधा राज्य बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आएगा, वह भ्रामक बातें हैं। उन्होंने कहा, “यह केवल राज्य पुलिस के प्रयासों को मजबूत करने और पूरक करने के उद्देश्य से एक सक्षम प्रावधान है। किसी भी मामले में, बीएसएफ को आगे की जांच के लिए स्थानीय पुलिस को जब्त खेप के साथ आरोपी को सौंपना होगा। प्राथमिकी दर्ज करने की शक्ति और मामले की जांच राज्य पुलिस के पास रहेगी।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अक्टूबर के आदेश पर पैदा हुए विवाद को अनुचित बताते हुए, सिंह ने यह भी कहा कि नवीनतम अधिसूचना केवल बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 के तहत राज्यों को सुरक्षित करने में राज्य पुलिस की क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह किसी भी तरह से राज्य पुलिस की शक्तियों को कम नहीं करता है। इस आदेश को वापस लेने के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित वर्तमान प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, संवैधानिक विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि केंद्र के पास संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत ऐसा आदेश जारी करने की शक्ति है।
यह कहते हुए कि विवाद सिर्फ एक राजनीतिक कदम है, कश्यप ने कहा, “बंगाल विधानसभा द्वारा पारित सर्वसम्मत निर्णय को केंद्र सरकार द्वारा अदालत में चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि उसके पास अनुच्छेद 355 के तहत आंतरिक अशांति के मामले में अधिभावी शक्ति है।” केंद्र ने 11 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया था।