लंदन : ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक का कहना है कि अधिक संक्रामक लेकिन कम गंभीरता वाला ओमिक्रोन वेरिएंट भविष्य में कोरोना महामारी से निपटने में उम्मीद की पहली किरण हो सकता है। भविष्य में यह सामान्य सर्दी जुकाम वाले विषाणु की तरह कम गंभीरता वाले कोरोना वायरस के रूप में अस्तित्व में रह सकता है। वैज्ञानिक महामारी इन्फ्लुएंजा समूह मॉडलिंग (स्पि-एम) के सदस्य और वारविक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ माइक टिल्डस्ले के हवाले से समाचार पत्र “द गर्जियन” ने बताया कि ओमिक्रोन एक संकेतक हो सकता है कि लोग कोविड के साथ एक स्थानीय बीमारी के रूप में रह सकते हैं। टाइम्स रेडियो ने उनके हवाले से बताया “लेकिन जैसा कि ब्रिटेन में कोविड के मामले बढ़ते जा रहे है और जितने लोग अस्पताल में इस समय भर्ती हैं वह लगभग एक साल में सबसे अधिक है।
भविष्य में जो चीज हो सकती है, वह यह है कि आप एक नए कोरोना वेरिएंट को देख सकते है जो कम गंभीर हो। लेकिन वह स्थानीय आबादी में लंबे समय तक बना रह सकता है। अंतत: लंबी अवधि में क्या होता है कि कोविड स्थानिक हो जाता है और उसकी घातकता कम हो जाती है और यह आम सर्दी जुकाम के विषाणु जैसा ही हो सकता है जिसके साथ हम कई सालों से जी रहे हैं।” उन्होंने कहा कि संभवत: ओमिक्रोन उम्मीद की पहली किरण है जो बताती है कि यह लंबी अवधि में हो सकता है। यह निश्चित रूप से डेल्टा की तुलना में बहुत अधिक संक्रामक है, लेकिन बहुत कम गंभीर है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, छह जनवरी को ब्रिटेन के अस्पतालों में कुल 18,454 लोग कोविड संकमण से ग्रस्त थे और यह सप्ताह-दर-सप्ताह 40 प्रतिशत की वृद्धि है तथा पिछले वर्ष 18 फरवरी के बाद से सबसे अधिक संख्या है। इस बीच टीकाकरण और टीकाकरण पर संयुक्त समिति ने देश के निवासियों और 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की देखभाल के लिए वैक्सीन का दूसरा बूस्टर या चौथी डोज नहीं देने की सलाह दी है, जबकि आंकड़े बताते हैं कि यह अस्पताल में प्रवेश को रोकने में 90 प्रतिशत प्रभावी था। अब विशेषज्ञ पहली बूस्टर डोज की शुरूआत को प्राथमिकता देना चाहते हैं और उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जिन्हें अभी भी पहली और दूसरी डोज नहीं दी गई है।