जैन पत्र संपादक संघ की बेवीनार में जैन समाज की समस्याओं पर मंथन

अलीगढ़। अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के बैनर तले रविवार को वेबिनार के माध्यम से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।बेवीनार में समाज की विभिन्न समस्याओं पर मंथन किया गया। जिन 5 विषयों पर चर्चा हुई वे हैं- जैन समाज की एकताःआज की आवश्यकता,समाज में राजनैतिक वर्चस्व की कमी व उसे दूर करने के उपाय, जैन तीर्थोें की सुरक्षा, बढ़ता पंथ बाद और जैन समाज तथा जैन पत्रकारिता वर्तमान संदर्भ में। उक्त विषयों पर देश के वरिष्ठ समाज सेवी,पत्रकारों व विद्वानों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ अनिल जैन काठमांडू ने दीप प्रज्जवलन के साथ किया। मंगलाचरण दिल्ली की डॉ. इन्दू जैन द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि सेवानिवृत एडीसनल आईजी लखनऊ जैनरत्न व्ही.के. जैन ने तीर्थ सुरक्षा पर अपने संबोधन में कहा कि युवाओं को आगे आने की आवश्कता है। समाज के पदाधिकारियों को युवाओं के प्रति अपनी सोच बदलकर उन्हें जागरूक करते हुए समाज चिंतन के लिए आगे लाना होगा।

इसरो के वैज्ञानिक जैन रत्न डॉ. राजमल जैन पुणे ने जैन तीर्थ की महत्वता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्सम से विस्तार से समझाया। बढ़ता पंथवाद और जैन समाज विषय पर इंदौर के वरिष्ठ समाज सेवी महासमिति के अध्यक्ष अशोक बडजात्या ने कहा कि आगे बढ़ने का लक्ष्य सर्वेश्रेष्ठ है। लेकिन हमें दूसरे पंथ के मानने वालों का सम्मान करते हुए पंथवाद को रोकने की पहल करनी चाहिए। दिशाबोध पत्रिका के संपादक डॉ. चिरंजीलाल बगड़ा ने कहा कि हमारा लक्ष्य सबको साथ लेकर चलने का है। सभी को साथ लेकर कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए। उदयपुर के सुखाडिया विश्वविद्यालय के प्राकृत विभाग के सेवानिवृत्त अध्यक्ष प्रो. प्रेम सुमन ने पंथ की व्याख्या करते हुए कहा कि सकारात्मक प्रवृति में रहना चाहिए इससे नकारात्मक प्रवृति स्वयं नष्ट हो जाएगी। जैन समाज को शोध कार्य में आगे आने की आवश्यकता है जिससे दूरगामी लाभ प्राप्त हो सकें । ग्लोबल महासभा के अध्यक्ष जमनालाल हपावत ने कहा कि पंथवाद को छोड़कर समाज को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है।

जैन तीर्थ क्षेत्रों की सुरक्षा जैसे गंभीर विषय पर अपनी बात रखते हुए शास्त्रीय परिषद के अध्यक्ष वरिष्ठ विद्वान डॉ. श्रेयांश जैन ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में धार्मिक स्थल पर्यटन स्थल बनते जा रहे हैं यह सबसे बड़ा सोचने का विषय है। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को आगे आगकर इसे रोकने की आवश्कता है। डॉ. जयकुमार जैन ने कहा कि समाज का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी एक की होनी चाहिए और उसका अनुशरण करने की जिम्मेदारी सबकी हो। लेकिन आज इसका उलट हो रहा है। दिल्ली के वरिष्ठ समाज सेवी डॉ. मणिन्द्र जैन ने कहा कि श्वेतांबर और दिगंबर समाज को साथ लाने का लक्ष्य हम सभी का है हम साल के अंत तक दोनों को एकमंच पर लाने का प्रयास करेंगे। कर्नाटक के डॉ. जयकुमार उपाध्ये ने कहा पंथ भले ही अलग हो लेकिन मोक्ष जाने का रास्ता एक ही है।

पंजाब केसरी के कार्याध्यक्ष स्वदेश भूषण ने कहा कि जैन समाज के वरिष्ठ लोगों को पत्रकारों का सम्मान करना चाहिए। आजकल पत्रकारों को समाज सही नजर से नहीं देखता है। समाज में फैली कुरितियों को पत्रकार ही समाप्त करा सकता है। पद की लोलुप्ता के साथ काम करने से बचना चाहिए। तीर्थ क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर जैन ने कहा कि तीर्थ सुरक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। सभी को अपने कर्तव्य का निर्वहन जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। मैसूर के समाज सेवी विनोद बाकलीवाल ने श्रवणबेलगोला में संपादक संघ को कार्यक्रम आयोजित करने का निमंत्रण देते हुए समाज हित के संबंध में अनेक सुझाव दिए। जैन पत्रकारिता के संबंध में प्रो. संजीव भानावत ने कहा कि पत्रकारिता व्यवसाय नहीं विचार पद्धति है और डिजिटल के साथ पत्रकारिता के कार्य करते रहना चाहिए।

युवा पत्रकारों को आगे आने की आवश्कता है। दिल्ली की फैक्ट न्यूज चेकर पारूल जैन ने कहा कि जैन चैनल को सामाजिक दृष्टि से समाचार प्रसारित करना  चाहिए। समाज में राजनैतिक वर्चस्व की कमी और उसे दूर करने का उपाय विषय पर संपादक संघ के कार्याध्यक्ष और वरिष्ठ विद्वान डॉ. सुरेन्द्र भारती ने कहा कि जैन समाज में चिंतन व वर्चस्व की कमी के कारण कोई भी राजनैतिक क्षेत्र में अपना योगदान नहीं देता है। इसलिए सबसे पहले पार्टी का सदस्य बने और सहभागिता दें। पवन घुवारा ने कहा कि समाज में अंग्रेजों की फूट डालो वालो राजनीति की धाराएं देखने को मिल रही है यह समाज के उत्थान के लिए सही नहीं है। जैन समाज के प्रशासनिक सेवाएं देने वाले लोग समाज हित के लिए आगे आएं और समाज की एकता में योगदान दें।

कार्यक्रम का शुभारंभ संपादक संघ के महामंत्री डॉ. अखिल बंसल द्वारा संगठन के परिचय व विकास यात्रा से हुआ। उन्होंने सभी आगन्तुकों विद्वानों व समाज सेविओं का भावभीना अभिनंदन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अलीगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता व संपादक संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन ने अपनी बात रखते हुए डारविंस थ्योरी का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज में पनपने वाली कुरीतियां हम सबको साथ लेकर ही समाप्त कर सकते हैं। हम सभी मात्र जैन हैं ना कोई पंथ है ना कोई वाद है। पं.विजय कुमार मुम्बई, आशीष भिण्ड, डा.ऋषभ जैन ललितपुर तथा राकेश अबूधाबी ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन हैदराबाद की रुचि चौविश्या व हाबडा की अनुपमा जैन ने किया। कार्यक्रम में 50 से अधिक समाज सेवी जुटे, बेवीनार तीन घंटे से अधिक समय तक चला।

बेवीनार में व्यक्त विचारों के क्रियान्वयन हेतु निम्न 5 प्रकोष्ठ बनाकर उनके संयोजकों को कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया है। आशा है प्रकोष्ठ संयोजक एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट से अवगत कराएंगे। इन रिपोर्ट को दृष्टिगत रखते हुए क्रियान्वयन समिति कार्य को आगे बढाएगी।

1.तीर्थ सुरक्षा प्रकोष्ठ
विनोद बाकलीवाल, मैसूर
2.मीडिया प्रकोष्ठ
डा.संजीव भानावत, जयपुर
3.सामाजिक सद्भाव प्रकोष्ठ
अशोक बडजात्या, इन्दौर
4.राजनैतिक प्रकोष्ठ
पवन घुवारा, टीकमगढ़
5.जैन एकता प्रकोष्ठ
स्वदेशभूषण जैन, दिल्ली

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