कोलकाता : बंगाल सरकार ने कहा कि भाजपा का यहां राज्य सचिवालय ‘नबान्न तक मार्च’ बिना अनुमति के निकाला गया और यह महामारी अधिनियम के स्वीकार्य मानकों के दायरे में नहीं था। हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य में ‘बिगड़ती कानून व्यवस्था’ के खिलाफ सचिवालय तक मार्च में भाग लिया। मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार ने मार्च की अनुमति नहीं दी थी क्योंकि बुधवार शाम को इसके लिए आवेदनों में कहा गया था कि कई रैलियां निकाली जाएंगी और सभी में करीब 25-25 हजार प्रतिभागी भाग लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आवेदन में प्रतिभागियों की जिस संख्या का उल्लेख था हमें वो बहुत ज्यादा लगी और यह भारत सरकार द्वारा तय महामारी कानून के तहत स्वीकार्य सीमा से बहुत ही ज्यादा थी।’’ शहर के अनेक हिस्सों में और पड़ोस के कोलकाता में बृहस्पतिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं का पुलिस के साथ संघर्ष हुआ। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या की घटनाओं के विरोध में पथराव किया तथा जले हुए टायर फेंककर मार्ग अवरुद्ध किये। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने दोनों शहरों में तीन घंटे से अधिक समय तक चले प्रदर्शनों में शामिल भाजपा कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, आंदोलनकारियों की पिटाई की और पानी की बौछार की।
बंदोपाध्याय ने पुलिस की प्रशंसा करते हुए उसे हालात से शांतिपूर्ण तरीके से निपटने का श्रेय दिया। हालांकि, संघर्ष के दौरान कई पुलिसकर्मी चोटिल हो गये। उन्होंने कहा, ‘‘कोलकाता पुलिस और राज्य पुलिस के अधिकारियों ने संयम बरतकर शांति कायम रखते हुए सराहनीय कार्य किया। हम उनका आभार प्रकट करते हैं। उकसावे की कार्रवाई की गयी और पुलिस पर हमले किये गये तथा कुछ पुलिसकर्मी जख्मी हो गये। हथियार भी जब्त कर लिये गये।’’ मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदर्शन के मामले में कोलकाता में 89 और हावड़ा में 24 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
नीले पानी की बौछार के बारे में पूछे जाने पर बंदोपाध्याय ने कहा कि यह होली के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला रंग था। उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय परिपाटी है। रंगीन पानी का इस्तेमाल ऐसे प्रदर्शनों के दौरान किया जाता है ताकि भीड़ को तितर-बितर करने के बाद इसमें शामिल लोगों की पहचान की जा सके।’’ इसी दिन तृणमूल कांग्रेस की महिला शाखा की शहर में एक रैली को अनुमति देने के सवाल पर बंदोपाध्याय ने कहा कि भाजपा युवा मोर्चा के मार्च में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या स्वीकार्य मानकों से काफी अधिक थी।