बीमा सखी योजना 2024- ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मील का पत्थर साबित होगी

बीमा सखी योजना से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाकर आर्थिक सपोर्ट से उनका जीवन ख़ुशहाल होगा
बीमा सखी योजना रेवड़ी से कोसों दूर, कौशलता के बल पर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने सटीक योजना है- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत की बौद्धिक क्षमता कार्य कुशलता की प्रतिष्ठा को, रेवड़ी योजनाओं के प्रहार से हमला किया जा रहा है, या यूं कहे कि रेवड़ी प्रचलन बौद्धिक क्षमता को जंग लगाने का काम कर रहा है क्योंकि स्वाभाविक है जिसको घर बैठे डीबीटी से पैसा मिल जाए 5 किलो प्रति मेंबर अनाज और परिवार को 1 किलो दाल मिल जाए तो वह अपना दिमाग क्यों खपाएगा इसका सटीक उदाहरण मैंने प्रैक्टिकल देखा कि झाड़ के पत्तों की पत्तल बनाने वाली एक महिला कारीगर से मैंने जो पत्तल 40-50 रुपए बंडल मिलती थी, वह 150 रुपए बंडल देने की बात मैंने कही तो भी, उन्होंने बनाने से इंकार किया क्योंकि उसे लाडली बहन योजना से 1500 रूपए प्रतिमाह व राशन का अनाज मिलने की बात कही तो स्वाभाविक रूप से वह पत्तल बनाकर अपनी कौशलता में दिमाग खपाकर क्यों दिखाएंगे। यह बात करीब-करीब हर क्षेत्र में महसूस किया जा रही होगी जिसका सुद्धारित रूप अब 9 दिसंबर 2024 से शुरू हुई बीमा सखी योजना से देखने को मिल सकता है।

इस योजना को रेवड़ियों से काफी दूर रखा गया है, अर्थात ग्रामीण महिला मेहनत कर, घूम-घूम कर, एलआईसी की बीमा पॉलिसी लेगी तो उसे उसका मेहनताना 7 से 21 हजार तक होगा तथा प्रोत्साहन राशि 2100 अलग मिलेगी वो भी उसे प्रक्रिया से एलआईसी बीमा एजेंट बनना होगा। हालांकि बीमा एजेंट अभी कोई भी बन सकता है, यह कोई नई बात नहीं है परंतु यह विशेष योजना केवल ग्रामीण महिलाओं के लिए है व स्वाभाविक रूप से उन्हें अपेक्षाकृत अधिक प्रोत्साहित किया जाएगा, उन्हें शासकीय कर्मचारियों की बीमा पॉलिसी दिलाई जाएगी। जिला स्तर पर उन्हें पॉलिसी मिलने का एक अदृश्य सपोर्ट किया जाएगा जिससे एक तीर से दो निशान होंगे, एक तो ग्रामीण महिलाओं को बीमा एजेंट के तौर पर पॉलिसी मिलेगी वह अपनी आय बढ़ाएगी, दूसरी ओर सरकारी प्रतिष्ठान एलआईसी को वित्त का साधन जनरेट होगा जो नेशनल लेवल पर विनियोग कर विज़न 2047 के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

यानी यह अप्रत्यक्ष रूप से विजन 2047 में भरपूर कारगर सिद्ध होगा। चूँकि 9 दिसंबर 2024 को माननीय पीएम ने हरियाणा के पानीपत में दोपहर 2 बजे बीमा सखी योजना की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है। यह योजना एलआईसी से संचालित की गई है, तो आए हुए पैसों से लॉन्ग टर्म विनियोग बढ़ेगा भारत के विकास के नए-नए अध्यायों के दूरगामी सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, बीमा सखी योजना रेवड़ी से कोसों दूर बल्कि कौशलता के बल पर आत्मनिर्भरता की और कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम बीमा सखी योजना को जानने की करें तो, आज 9 दिसंबर को महिलाओं के लिए सरकार की ओर से एक नई योजना शुरू की जा रही है, इस योजना का नाम है बीमा सखी योजना। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा। एलआईसी की बीमा सखी योजना को शिक्षित महिलाओं के लिए डिजाइन की गई है, जिसका उद्देश्य उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के तहत लोगों में वित्तीय समझ विकसित करने और बीमा की अहमियत समझाने के लिए 10वीं महिलाओं को 3 साल तक ट्रेंड किया जाएगा। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और स्वरोजगार के लिए शुरू की गई इस योजना में महिलाओं को 7,000 से 21,000 रुपये तक हर महीने दिए जाएंगे। योजना की शुरुआत में महिलाओं को हर महीने 7000 रुपये दिए जाएंगे, तो वहीं दूसरे साल में यह राशि 1000 रुपये कम करके 6000 रुपये कर दी जाएगी, तो तीसरे साल में 5000 रुपये हर महीने दिए जाएंगे। वहीं इसके अलावा महिलाओं को 2100 रुपये का अलग से योगदान दिए जाएगा तो साथ ही जो महिलाएं अपने बीमा के टारगेट पूरा करेंगी उन्हें अलग से कमीशन भी दिया जाएगा।

साथियों बात अगर हम बीमा सखी योजना को महिला सशक्तिकरण व रोजगार की ओर कदम बढ़ाने की करें तो, जैसा इस स्कीम का नाम है बीमा सखी योजना यानी इसमें महिलाओं को बीमा से जुड़े काम के लिए सक्षम बनाया जाएगा, इस योजना के जरिए महिलाओं को भारतीय जीवन बीमा निगम की बीमा सखी नियुक्त किया जाएगा यानी उनको एलआईसी का एजेंट बनाया जाएगा। योजना में जुड़ने के बाद महिलाएं लोगों का बीमा कर सकेंगी। सरकार की इस स्कीम से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं को खासा लाभ होगा, ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के लिए नौकरी और रोजगार के मौके सामान्य तौर पर काफी कम होते हैं, ऐसे में सरकार की इस स्कीम से इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा। माननीय पीएम ने सोमवार 9 दिसंबर को हरियाणा के पानीपत से इस योजना का उद्धघाटन किया। भारत सरकार द्वारा देश के नागरिकों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जाती है, अलग-अलग तबकों से आने वाले लोगों के लिए सरकार की अलग-अलग योजनाएं होती हैं। सरकार महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास करती रहती है महिलाओं के हित के लिए भी सरकार की कई योजनाएं होती है।

साथियों बात अगर हम बीमा सखी योजना को समझने की करें तो, केंद्र सरकार देश के नागरिकों के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक नई योजना लाई है। इस योजना के जरिए सरकार की कोशिश महिलाओं के सशक्त बनाना और फाइनेंशियल इंक्लूजन को आगे बढ़ाना है पीएमओ की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि ‘बीमा सखी योजना’ भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी ) की एक पहल है। बीमा सखी योजना के जरिए 10वीं पास कर चुकी 18 से 70 साल की उम्र की महिलाओं के सशक्तीकरण को बल मिलेगा। इस योजना के तहत फाइनेंशियल लिटरेसी और बीमा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को पहले 3 सालों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग और वजीफा दिया जाएगा। एलआईसी एजेंट से लेकर डेवलपमेंट ऑफिसर बनने का मौका ट्रेनिंग के बाद महिलाएं एलआईसी एजेंट के रूप में काम कर सकती हैं और ग्रेजुएट बीमा सखियों को एलआईसी में डेवलपमेंट ऑफिसर की भूमिका में काम करने का भी अवसर मिलेगा। पीएम ने भावी बीमा सखियों को नियुक्ति प्रमाण पत्र भी वितरित किया, योजना के पहले फेज में 35 हजार महिलाओं को बीमा एजेंट के तौर पर रोजगार दिया जाएगा। बाद में 50 हजार और महिलाओं को योजना में लाभ दिया जाएगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बीमा सखी योजना 2024- ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मील का पत्थर साबित होगी। बीमा सखी योजना से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाकर आर्थिक सपोर्ट से उनका जीवन ख़ुशहाल होगा। बीमा सखी योजना रेवड़ी से कोसों दूर कौशलता के बल पर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने सटीक योजना है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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