मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने एक अप्रत्याशित राजनीतिक विस्फोट करते हुए मंगलवार को यहां पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने की घोषणा की। अचानक की गई इस घोषणा से सैकड़ों लोग सदमा और अविश्वास की भावनाओं के साथ नम आंखों से उनके इस कदम का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग करने लगे। इस घोषणा के वक्त पवार थोड़े उदास, लेकिन दृढ़ दिखे। उनकी पत्नी प्रतिभा भी उनके बगल में बैठी थीं। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि कब रुकना है ..मैंने राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की है जो अगले अध्यक्ष पर फैसला करेगी।
अजीत पवार, पार्टी के प्रदेश प्रमुख जयंत पाटिल और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी कार्यकर्ताओं और निचले पायदान के नेताओं को शांत करने का प्रयास किया और उनसे शांत रहने का आग्रह किया। 82 वर्षीय पवार ने अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे संगायी – पॉलिटिकल ऑटोबायोग्राफी’ के विमोचन के दौरान संन्यास की घोषणा की।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उनके पास संसद में जाने के लिए तीन साल और हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पिछले 55 वर्षों की तरह सामाजिक-राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहेंगे। अपनी लंबी राजनीतिक यात्रा के बारे में बताते हुए पवार ने कहा कि 1 मई 1960 को जब यशवंतराव चव्हाण के नेतृत्व में महाराष्ट्र का गठन किया गया था, उसी दिन वह एक सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता के रूप में पुणे शहर युवा कांग्रेस में शामिल हुए थे।
बाद में उन्हें महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में बहुत सारी जिम्मेदारियां मिलीं। वह पुणे से मुंबई आ गए और राज्य भर के युवा संगठनों तथा नेताओं के संपर्क में आए। एक समय भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस ने अन्य देशों में नेतृत्व की एक नई पीढ़ी कैसे बनाई जाती है और इसके लिए किस तरह की योजना बनाई गई है पर अध्ययन करने के लिए युवा छात्रवृत्ति की विश्व सभा के लिए युवा नेताओं के एक समूह का चयन किया जिसके तहत अमेरिका, जापान, कनाडा तथा डेनमार्क की यात्रा करने और वहां के नेताओं और संगठनों के साथ बातचीत का मौका मिला।