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वाराणसी। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस व्रत को रखने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। एक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस तरह से पूरे साल में 24 या 25 प्रदोष व्रत होते हैं। इस व्रत की पूजा के लिए प्रदोष काल समय सबसे शुभ माना जाता है। व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता।
प्रदोष व्रत का मुहूर्त :
25 फरवरी को प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त शाम 6 बज कर 18 मिनट से लेकर रात 8 बज कर 49 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पूजा विधि :
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें और इस समय विधि विधान भगवान शिव की पूजा करें। फिर शाम की पूजा से पहले फिर से स्नान करें। इसके बाद घर के मंदिर में घी का दीपक लगाएं। शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतुरा इत्यादि चीजें अर्पित करें। प्रदोष व्रत की कथा सुनें। अंत में आरती करके पूजा संपन्न करें। ये व्रत फलाहारी भोजन ग्रहण करके रखा जाता है।
भौम प्रदोष व्रत पर क्या करना चाहिए क्या नहीं?
भौम प्रदोष व्रत पर आपको टूटे हुए चावल शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। बल्कि साफ और खड़े चावल चढ़ाएं।
वहीं, पूजा पाठ में आपको काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसलिए भौम प्रदोष व्रत में इस रंग के कपड़े पहनने से बचें।
पूजा में शिव जी की कृपा पाने के लिए सफेद, हरे या पीले कपड़े पहनने चाहिए यह बहुत शुभ माना जाता है।
भौम प्रदोष व्रत में भूलकर भी मास का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलाव आपको किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
तुलसी की पत्तियां भगवान शिव को नहीं चढ़ानी चाहिए। कुमकुम या सिंदूर को भी शिवलिंग पर नहीं अर्पित करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन क्या करें :
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन शिव पुराण का पाठ करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन गरीबों को दान करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन शिव मंदिर में जाकर दर्शन करना चाहिए।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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