Kolkata Desk: बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा मामले की जांच CBI से कराने और SIT गठन करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का भाजपा ने स्वागत किया है, वहीं राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल ने फैसले को लेकर असंतोष जताया है। कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद NHRC के सदस्य आतिफ रशीद ने कहा कि, ‘जहां से लोग भागे थे, वहां तैनात हो सेना।’
बंगाल चुनाव के बाद हिंसा मामले की जांच सीबीआई से कराने और SIT गठन करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य आतिफ रशीद ने खुशी जताते हुए कहा कि इससे वह सच साबित हुए हैं, जिन इलाकों से लोग पलायन के लिए बाध्य हुए हैं, उन इलाकों में सेना की तैनाती की जाए।
रशीद ने कहा कि, “हाई कोर्ट के फैसले से मैं सही साबित हुआ हूं। फैसले से पुलिस की निष्क्रियता उजागर हुई है। मैं मांग करता हूं कि जहां से लोग भागे थे, वहां सेना तैनात की जाए। इस फैसले ने यह साबित कर दिया है कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने हिंसा की है।”
उल्लेखनीय है कि बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच करने का निर्देश दिया था। इस बाबत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने एक टीम का गठन किया था। रशीद उसके सदस्य थे, उन्होंने बंगाल में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया था। आरोप है कि जादवपुर में दौरा के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम पर हमला किया गया था।
उस टीम में आतिफ रशीद भी थे। जांच टीम के सदस्य आतिफ रशीद ने बताया था कि जांच के दौरान यह पाया गया कि यहां 40 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। इसी दौरान हमारे ऊपर भी गुंडों ने हमला कर दिया था। आतिफ रशीद ने इस घटना को लेकर वीडियो पोस्ट भी किया था। इसमें कुछ लोग रशीद की ओर गुस्से में बढ़ते दिख रहे थे। CISF के जवान उन्हें रोक रहे थे। उसमें उन्होंने बताय था कि वे यहां कोर्ट के आदेश पर जांच के लिए आए हैं।
यहां 40 से ज्यादा घर नष्ट हो चुके हैं। कुछ गुंडों ने हमारे ऊपर हमला किया, पुलिस पर भी हमला किया। हमने भगाने की कोशिश की, जब हमारा ये हाल है तो आम आदमी का क्या होगा। हमने लोकल पुलिस को अपने आने की जानकारी दी थी, लेकिन पुलिस नहीं आई। ये बहुत ही अफसोस की बात है।
जांच कमेटी ने कलकत्ता हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी पाया गया था। उसने अपनी सिफारिशों में कहा था कि दुष्कर्म व हत्या जैसे मामलों की जांच सीबीआई से कराई जाए और इन मामलों की सुनवाई बंगाल से बाहर हो। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अन्य मामलों की जांच भी कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल से कराई जाना चाहिए। संबंधितों पर मुकदमे के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाई जाए, विशेष लोक अभियोजक तैनात किए जाएं और गवाहों को सुरक्षा मिले। हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग की जांट कमेटी की रिपोर्ट पूरी तरह से लगभग मान ली है।