बंगाल ने निर्भया फंड के खर्च किए 95 करोड़, ममता फिर भी नहीं रोक पाईं दरिंदगी

कोलकाता। दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद 2013 में निर्भया फंड का गठन किया गया था. इसका उद्देश्य देश भर में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था केंद्र सरकार की जानकारी के मुताबिक निर्भया फंड का 76 फीसदी पैसा खर्च हो चुका है लेकिन सवाल है कि पिछले एक दशक में पूरे देश में बलात्कार की घटनाओं में कमी आई है?

सूत्रों ने बताया कि निर्भया फंड का पैसा कैसे खर्च किया जाएगा, यह तय करने के लिए 2015 में एक समिति बनाई गई थी. यह समिति केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के तहत बनाई गई थी. हालांकि, तब से पिछले 9 वर्षों में भारत में बलात्कार के मामलों में केवल 9.1 प्रतिशत की कमी आई है.

इसी साल 2 अप्रैल को लोकसभा में दी गई जानकारी में केंद्र सरकार ने बताया कि निर्भया फंड में अब तक 7212.85 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं. उसमें से 5512.97 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं यानी कुल आवंटित धनराशि का 76 फीसदी खर्च हो चुका है.

सवाल है कि महिला सुरक्षा पर इतने बड़े खर्च के बाद महिला सुरक्षा में कितना बदलाव आया है? आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2015 के बाद से बलात्कार के मामलों में केवल 9.1 प्रतिशत की कमी आई. साल 2020 में शायद कोरोना के असर से रेप के मामले थोड़े कम हुए लेकिन 2019, 2021, 2022 में देश में रेप की घटनाएं उस तरह से कम नहीं हुईं.

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर से रेप और हत्या को लेकर इस वक्त पूरा देश गुस्से में है. हालांकि, पश्चिम बंगाल उन चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से एक है, जिन्होंने सबसे अधिक निर्भया फंड का पैसा खर्च किया है. निर्भया फंड से पश्चिम बंगाल के लिए 104.72 करोड़ रुपये आवंटित किए गए पश्चिम बंगाल ने इसमें से 95 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.

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