कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए प्रवासी कामगारों के अपने पैतृक गांव लौटने के कारण कोलकाता में घरेलू कामकाज से लेकर आतिथ्य व परिवहन क्षेत्रों तक की सेवाएं प्रभावित हुईं। कोलकाता के पूरी तरह से शहरी क्षेत्र होने के कारण वह राज्य का एकमात्र जिला है जहां ग्रामीण चुनाव नहीं हुए। कई बसों तथा अन्य वाहनों को चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात किए जाने से लोगों को यात्रा करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा।
चुनाव के कारण रेस्तरां और भोजनालयों में भी सेवाएं प्रभावित हुईं। शहर में एक रेस्तरां श्रृंखला के मालिक शिलादित्य चौधरी ने कहा, शनिवार (आठ जुलाई) को मतदान के दिन हमने करीब 40 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम किया। हमने उस दिन भोजन में विकल्प भी कम कर दिए थे।
दक्षिण कोलकाता में लेक मार्केट के पास मशहूर भोजनालय रादु बाबर डोकन’ चलाने वाले सत्य सुंदर दत्ता ने कहा, भोजनालय में स्थिति अब भी सामान्य नहीं हुई है क्योंकि कुछ कर्मचारी अभी तक अपने गांवों से वापस नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि हम शनिवार और रविवार को केवल चाय ही बेच रहे थे।
घरेलू सहायकों पर निर्भर कई परिवारों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। घरेलू सहायक लंबे सप्ताहांत पर अपने घर चले गए और कई अब भी काम पर वापस नहीं लौटे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास दमदम इलाके की निवासी बेबी दास ने कहा कि उनकी दिनचर्या गड़बड़ा गई है क्योंकि उनकी घरेलू सहायिका ने चार-पांच दिन की छुट्टी ली है। दास ने कहा, मैं एक बुजुर्ग महिला हूं और मेरी घरेलू सहायिका मेरे साथ रहती है।
वह सब्जियां खरीदने से लेकर कपड़े धोने और खाना पकाने तक सब कुछ करती है। मैं उसके बिना मुश्किल से गुजारा कर पा रही हूं। वहीं ‘ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि राज्य भर में सिंडिकेट से संबद्ध 31,000 बसों में से करीब 80 प्रतिशत को चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है।
उन्होंने कहा, कोलकाता में कुछ बसें नहीं चल पाईं क्योंकि चालक और सहायक वोट डालने के लिए पड़ोसी जिलों में अपने घर गए थे। चालकों और सहायकों के वापस आने तक शहर और राज्य भर में बसों की संख्या कम रहेगी। त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली की करीब 74,000 सीट पर आठ जुलाई को मतदान हुआ था और आज मंगलवार को मतों की गिनती जारी है।