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कोलकाता। प्राथमिक भर्ती घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है। जांच के दौरान बरामद दस्तावेजों में कुछ प्रभावशाली नेताओं के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर उम्मीदवारों की सिफारिश की थी।
इन नेताओं में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के भाई व पूर्व सांसद दिव्येंदु अधिकारी, भाजपा नेत्री व पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष, तृणमूल सांसद ममताबाला ठाकुर और तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला शामिल हैं। सीबीआई को ये नाम उस दस्तावेज में मिले हैं, जिसे उसने कोलकाता स्थित शिक्षा विभाग के दफ्तर विकास भवन में छापेमारी के दौरान बरामद किया था।
- 324 उम्मीदवारों की सिफारिश, 134 को मिली नौकरी
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि दिव्येंदु अधिकारी, भारती घोष, ममताबाला ठाकुर और शौकत मोल्ला ने कई उम्मीदवारों की सिफारिश की थी। इन नामों को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (जो वर्तमान में जेल में हैं) को भेजा गया था।
इन उम्मीदवारों में से 134 लोगों को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नौकरी मिली थी। सीबीआई यह जांच कर रही है कि क्या इन उम्मीदवारों को केवल सिफारिश के आधार पर नौकरी दी गई या वे वाकई योग्य थे।
सीबीआई के दस्तावेजों के मुताबिक :
- दिव्येंदु अधिकारी ने 11 उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की, जिनमें से पांच को नौकरी मिली।
- ममताबाला ठाकुर ने 20 नामों की सिफारिश की, जिनमें से दो को नौकरी मिली।
- भारती घोष ने चार नामों की सिफारिश की, जिनमें से तीन को नौकरी मिली।
- शौकत मोल्ला ने दो उम्मीदवारों के नाम भेजे, लेकिन इनमें से किसी को नौकरी नहीं मिली।
- श्यामल सात्रा ने 22 उम्मीदवारों की सिफारिश की, जिनमें से तीन को नौकरी मिली।
- बिना मंडल ने 13 नामों की सिफारिश की, जिनमें से छह को नौकरी मिली।
- निर्मल घोष ने 16 नाम भेजे, जिनमें से छह को नौकरी मिली।
- गुलशन मलिक ने 10 उम्मीदवारों की सिफारिश की, जिनमें से चार को नौकरी मिली।
- पूर्व मंत्री रमेंद्रनाथ विश्वास ने एक नाम की सिफारिश की, जिसे नौकरी मिल गई।
हालांकि सीबीआई ने अभी तक किसी भी प्रभावशाली नेता को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है, लेकिन इन नेताओं द्वारा सिफारिश किए गए कुछ उम्मीदवारों से पूछताछ की गई है।
जांच एजेंसी ने प्राथमिक शिक्षा परिषद से उन 134 उम्मीदवारों की सूची भी हासिल की है, जिन्हें नौकरी मिली थी। 2014 में हुए प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में धांधली को लेकर 2022 में कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी।
दस्तावेजों की पड़ताल में यह भी सामने आया कि जब यह परीक्षा हुई थी, तब दिव्येंदु अधिकारी और भारती घोष दोनों ही भाजपा में नहीं थे। दिव्येंदु तब तृणमूल कांग्रेस के सांसद थे, जबकि भारती घोष पश्चिम मेदिनीपुर और झाड़ग्राम की पुलिस अधीक्षक के रूप में तृणमूल के करीबी मानी जाती थीं।
भारती ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में प्रवेश किया था, लेकिन अब तक कोई भी चुनाव नहीं जीत सकी हैं। दिव्येंदु अधिकारी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे।
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