- चाक-चैबंद सुरक्षा-व्यवस्था के लिए वरीय अधिकारी मौका-मुआयना के साथ मातहतों को लगातार देते रहे निर्देश
दुर्गेश चन्द्र शुक्ला, खड़गपुर: पहली अप्रैल की संध्या को जंगल महल अंतर्गत चार जनपदों की कुल 30 सीटों पर मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के साथ पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण छिटपुट हिंसा के बीच संपन्न हो गया। इससे पहले 27 मार्च को मतदान के साथ पहला चरण पूरा हो गया था। गुरुवार को शासन-प्रशासन व चुनाव आयोग समेत अन्य सभी की निगाहें सिर्फ और सिर्फ नंदीग्राम में हो रहे मतदान पर टिकी थीं।
एक ओर ममता बनर्जी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए विगत तीन दिनों से लगातार सभी तरह के हथकंडे अपनाने के बावजूद भाजपा पर बाहरी राज्यों से गुंडे लाकर हिंसा फैलाने का आरोप लगाती रहीं। बावजूद इसके उन्होंने गुरुवार की संध्या अपने संबोधन में जीत सुनिश्चित बताई।
दूसरी ओर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे शुभेंदु अधिकारी अहले सुबह से ही बूथ-बूथ घूमकर अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगे रहे। इन सबके बीच चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण व निर्विघ्न ढंग से संपन्न कराने के लिए बूथ-बूथ पर डटे सीआरपीएफ जवानों का एक अलग चेहरा भी देखने को मिला। नंदीग्राम में गुरुवार को हुए मतदान के लिए व्यवस्था का जायजा लेने के लिए सीआरपीएफ के आईजीपी (पश्चिम बंगाल सेक्टर) प्रदीप कुमार सिंह भी पहुंचे।
उन्होंने पूरे इलाके में घूम-घूम कर सुरक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए मातहतों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस बीच मतदान के लिए आने वाले दिव्यांग व शारीरिक रुप से असमर्थ मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने में भी अहम भूमिका निभाई। एक बूथ पर तो वह खुद ही एक दिव्यांग को मतदान केंद्र के भीतर तक ले गए और मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे घर पहुंचाया।
यह पहल लोगों के दिल को छू गई। यह पहला मौका नहीं था। इससे पहले हुए प्रथम चरण के चुनाव में भी सीआरपीएफ जवानों ने उम्रदराज मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाकर उन्हें उनके मताधिकार का प्रयोग करने में मदद करते हुए अपनी सहृयता का परिचय दिया। रामनगर विधानसभा सीट पर हुए मतदान के दौरान ए/4 कंपनी कमांडेंट सहायक कमांडेंट गुरु चरण स्वाईन बुजुर्ग महिला मतदाताओं को अपनी गोद में उठाकर मतदान केंद्र तक ले गए थे। सीआरपीएफ अधिकारियों व जवानों के इस रूप को देख लोग सहज ही उन्हें अपना आशीर्वाद देते हुए देखे गए।