कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रियल एस्टेट प्रमोटर अयान सिल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर पश्चिम बंगाल की विभिन्न नगर पालिकाओं में करोड़ों रुपये के कथित भर्ती घोटाले की जांच शुरू की है। इससे पहले सीबीआई ने भी प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। दरअसल, ईडी को ही पहली बार सरकारी स्कूलों में कथित भर्ती घोटाले के सिलसिले में सिल के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाते हुए नगर पालिकाओं की भर्तियों में समानांतर घोटाले की जानकारी मिली थी।
कोलकाता में एक विशेष पीएमएलए अदालत में ईडी द्वारा दायर नवीनतम पूरक चार्जशीट में केंद्रीय एजेंसी ने स्कूल भर्तियों और नगरपालिका भर्ती दोनों में कथित अनियमितताओं के मामलों में सिल द्वारा संग्रह का विवरण दिया है। चार्जशीट में ईडी ने दावा किया है कि सिल ने स्कूल भर्ती के मामले में उम्मीदवारों से 45 करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि नगर पालिकाओं की भर्ती के लिए उन्होंने लगभग 35 करोड़ रुपये एकत्र किए।
कथित नगर पालिकाओं के घोटाले की जांच शुरू करने की प्रक्रिया में कई प्रारंभिक कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ा था। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने केंद्रीय एजेंसियों को मामले की जांच शुरू करने की अनुमति देने के बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती दी थी लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले को वापस कलकत्ता उच्च न्यायालय को भेज दिया था।
हाल ही में राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की खंडपीठ में एक नई अपील की, जिसमें केंद्रीय एजेंसी की जांच के पिछले आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। हालांकि, शुक्रवार को न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ द्वारा नगरपालिकाओं में करोड़ों रुपये के कथित भर्ती घोटाले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने के आदेश को बरकरार रखा।