Kolkata : ज्यादातर लोगों को अंदाज नहीं होगा की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास कुल कितनी संपत्ति है! ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के तौर पर अपना वेतन भी नहीं लेती हैं। इसके अलावा उन्हें पूर्व MP के रूप में मिलने वाले भत्ते को भी वह राहत कोष में जमा कराती हैं। उनकी निजी आमदनी का एकमात्र जरिया उनकी वे किताबें हैं जिनकी रॉयल्टी उन्हें मिलती है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के हाथों पराजित हुई ममता बनर्जी आगामी 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में भवानीपुर से फिर से चुनावी मैदान में उतरी हैं। ममता बनर्जी ने शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। ममता बनर्जी के पक्ष में तृणमूल कांग्रेस ने जोरदार चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। रविवार को मंत्री फिरहाद हकीम ने उनके पक्ष में चुनाव प्रचार किया।
चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामे में उन्होंने चुनाव आयोग को अपने चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी दिया है। चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के अनुसार अप्रैल महीने में संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनाव के मुकाबले उनकी संपत्ति में कमी दर्ज की गई है। उनके पास कैश में केवल 69 हजार रुपये है जबकि ज्वेलरी के मामले में महज नौ ग्राम का सोना है।
चुनाव आयोग को दिये गये हलफनामे के मुताबिक ममता बनर्जी के पास करीब 69 हजार 255 रुपये कैश होने की जानकारी दी गई है। दरअसल नंदीग्राम विधानसभा चुनाव से पहले जब एफिडेबिट दाखिल हुआ था। तब उन्होंने बैंक अकाउंट में करीब 12 लाख, दो हजार 356 रुपये जमा दिखाए थे। ममता बनर्जी के पास नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) के रूप में 18 हजार 490 रुपये का निवेश है।
जबकि ज्वेलरी की बात करें तो उनके पास मात्र नौ ग्राम सोने की ज्वेलरी है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के तौर पर अपना वेतन भी नहीं लेती हैं और उसे राहत कोष में जमा करा देती हैं। इसके अलावा उन्हें पूर्व सांसद के रूप में मिलने वाले भत्ते को भी वह राहत कोष में जमा कराती हैं। उनकी निजी आमदनी का एकमात्र जरिया उनकी वे किताबें हैं जिनकी रॉयल्टी उन्हें मिलती है।
ममता बनर्जी ने बीते दिन उपचुनाव के लिए अपना नामांकन भवानीपुर से दाखिल किया। इसी साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में 2 मई को राज्य के चुनावी नतीजों के ऐलान के दौरान ममता बनर्जी को उनके पुराने सहयोगी शुवेंदु अधिकारी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 1 हजार 956 वोटों से हराया था। इसके बावजूद राज्य में TMC की बंपर जीत की वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान व्यक्ति को 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होगा। इसके लिए उन्हें उपचुनाव लड़ना होगा, इसके लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है और अब मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए ममता बनर्जी को जीत हासिल कर सदन में चुनकर आना पड़ेगा। इसके लिए वे उपचुनाव में भवानीपुर से इस बार अपनी किस्मत आजमा रही हैं।
दूसरी तरफ ममता बनर्जी को भवानीपुर सीट से बीजेपी की ओर से प्रियंका टिबरेवाल टक्कर देंगी, जो पेशे से वकील हैं और भाजपा युवा मोर्चा में उपाध्यक्ष भी हैं। प्रियंका साल 2014 में बीजेपी में शामिल हुई थीं। प्रियंका हाईकोर्ट की नामी वकील है वो भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो की लीगल एडवाइजर भी रह चुकी हैं।