कोलकाता / नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए निर्वाचन आयोग का रुख करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि आयोग ने उसकी शिकायत के संदर्भ में उसे राज्य में उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार समाप्त होने से केवल 90 मिनट पहले, सोमवार दोपहर का समय दिया।
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, राज्यसभा संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन और सांसद कीर्ति आजाद, साकेत गोखले एवं सुष्मिता देव सहित तृणमूल नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात की और राज्य में जारी उपचुनाव के प्रचार अभियान से संबंधित दो ज्ञापन सौंपे।
सोमवार को निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में तृणमूल ने कहा कि वह इस बात से ‘निराश’ है कि उन्हें सोमवार को अपराह्न 3:30 बजे का समय दिया गया, जो शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का समय समाप्त होने से केवल 90 मिनट पहले है।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह देरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लाभ पहुंचाने के मकसद से की गई है। इससे चुनावों की निष्पक्षता से समझौता किया जा रहा है और लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता में जनता का विश्वास कम हो रहा है।
तृणमूल ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा, ”इससे इन चिंताओं को उठाने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है, क्योंकि इस महत्वपूर्ण समय में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकती।”
उन्होंने कहा, ”हम चुनावी शुचिता के उल्लंघन के संबंध में नौ नवंबर 2024 को हमारे द्वारा प्रस्तुत दो गंभीर शिकायतों के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के इससे निपटने के तरीके पर अपनी गहरी निराशा और चिंता व्यक्त करते हैं।” तृणमूल ने राज्य में ”सीएपीएफ कर्मियों के अवैध गतिविधियों में लिप्त रहने” का आरोप लगाया।
पार्टी ने आरोप लगाया, ”हमने बताया था कि राज्य पुलिस की अनिवार्य उपस्थिति के बिना काम कर रहे सीएपीएफ कर्मी कथित तौर पर लोगों के घरों में घुसकर मतदाताओं को डराते हैं और उन्हें भाजपा के पक्ष में प्रभावित करते हैं।”
तृणमूल ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार द्वारा तालडांगरा में एक चुनावी रैली के दौरान की गई कथित टिप्पणियों की भी आलोचना की और उन पर राज्य पुलिस के खिलाफ अपमानजनक बयान देने तथा भारत के राजकीय चिह्न का अपमान करने का आरोप लगाया। मजूमदार ने कथित तौर पर कहा था कि इन चिह्नों को ”जूते जैसे प्रतीकों” से बदल दिया जाना चाहिए।
तृणमूल ने कहा, ”चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को सीधे तौर पर कमजोर करने वाले इन मुद्दों में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। स्थिति की गंभीरता के बावजूद आयोग तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करने या भाजपा और उसके नेताओं तथा सीएपीएफ को ऐसे गैरकानूनी और अपमानजनक आचरण से दूर रहने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करने में विफल रहा है।”
तृणमूल ने कहा कि आयोग की ”निष्क्रियता और शिकायत के संदर्भ में देरी से प्रतिक्रिया देना चुनावी प्रक्रिया में एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाती है।”
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में गोखले ने कहा कि उनकी पार्टी चार दिनों से भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से संपर्क कर रही है और उनके पत्र तीन दिनों से निर्वाचन आयोग के पास हैं।
उन्होंने कहा, ”हमें आज ही पहली प्रतिक्रिया मिली है। शाम पांच के बाद यह मुद्दा स्वत: अप्रासंगिक हो जाएगा और उससे महज 90 मिनट पहले हमें हमारी शिकायत के संदर्भ में बैठक के लिए बुलाया गया है।”
पश्चिम बंगाल में छह विधानसभा सीट – सीताई (एससी), मदारीहाट (एसटी), नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर और तालडांगरा में उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे।
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