Kolkata (Brigade rally 2021) : बंगाल चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। राज्य स्तरीय नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के नेता का बंगाल दौरा बढ़ने लगा है। सबसे पहले कांग्रेस और वाम मोर्चा ने कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर ली है। रविवार (28 फरवरी, 2021) को कांग्रेस और लेफ्ट का संयुक्त शक्ति प्रदर्शन होगा। इस रैली में दोनों दलों के बड़े नेता शामिल होने की बात कही जा रही है।
आजादी के बाद से पश्चिम बंगाल में 1967 तक तो कांग्रेस का शासन रहा, फिर आठ महीनों के लिए बांग्ला कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड फ़्रंट ने सत्ता संभाली। इसके बाद तीन महीने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक गठबंधन ने सत्ता संभाली, फिर फरवरी 1968 से फरवरी 1969 तक एक साल राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा।
एक साल (फरवरी 1969 से मार्च 1970 तक) बांग्ला कांग्रेस ने सत्ता संभाली फिर वापस एक साल राष्ट्रपति शासन रहा। अप्रैल 1971 से जून 1971 तक कांग्रेस ने राज्य में वापस सत्ता संभाली परंतु सरकार क़ायम न रख सके और जून 1971 से मार्च 1972 तक फिर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।
इसके बाद पश्चिम बंगाल का राजनीतिक इतिहास, कम से कम सत्ता की दृष्टि से स्थिरता का इतिहास रहा।वर्ष 1972 के मार्च में इंदिरा गांधी के प्रिय और बांग्लादेश के निर्माण काल के दौरान उनके सहयोगी रहे सिद्धार्थ शंकर रे ने सत्ता संभाली जो आपातकाल के दौरान और उसके बाद चुनाव होने तक सत्ता में रही।
जून 1977 में आपातकाल के बाद देश में परिवर्तन की लहर चली तो पश्चिम बंगाल में भी सत्ता का परिवर्तन हुआ और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में वाममोर्चा ने सत्ता संभाली और ज्योति बसु राज्य के मुख्यमंत्री बने। वे सन् 1977 से लेकर 2000 तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय (23 साल) तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किए।
उनके बाद वामफ्रंट के ही बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 यानी 11 साल तक मुख्यमंत्री रहे, अर्थात कुल 34 सालों तक वामपंथियों का पश्चिम बंगाल पर शासन रहा। फिर मई 2011 में वामपंथियों के 34 वर्षों के शासन को खत्म कर ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री बनी तथा दुबारा 2016 में भी जीत कर मुख्यमंत्री बनी जो कि अब तक है, लगातार 10वें साल।
अब बिडंबना देखिए कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में लगातार 44 वर्षों से तथा वामफ्रंट 10 बर्षों से सत्ता से दूर है, अतः दोनों ने ही अपने-अपने वोटों को बिखरने से बचाने के लिए गठबंधन किया है कहा जा सकता है कि बंगाल में यह तीसरा मोर्चा है। कारण अभी तक मुख्य चुनावी लड़ाई टीएमसी और भाजपा के बीच दिख रही है अब कल 28 फरवरी को ब्रिगेड में होने वाली वाममोर्चा व कांग्रेस गठबंधन की रैली में हो सकता है कुछ चुनावी समीकरण बदले।