पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : अगर आपकी कुंडली में भी मौजूद हैं ये 7 कुंडली के सबसे बुरे योग…. तो जल्द से जल्द करवाएं इनका निदान, जाने क्या है ये।
1. केमद्रुम योग : बुरे योगों में सबसे पहला नाम है केमद्रुम योग का, यह योग कुंडली में चंद्रमा के वजह से बनता है। जब चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्र के आगे-पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह ना हो तो यह स्थिति केमद्रुम योग कही जाती है। जिस भी जातक की कुंडली में यह योग होता है उसे आजीवन धन की परेशानी झेलनी पड़ती है। उसका जीवन संकटों से घिरा रहता है।
निदान : अगर आपकी कुंडली में ये योग है तो आपको भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के पूजा करनी चाहिए। नियमित तौर पर हर शुक्रवार महालक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें।
2. ग्रहण योग : कुंडली में अगर किसी भाव में चंद्रमा और राहु या केतु साथ बैठे हों तो यह स्थिति ग्रहण योग कहलाती है। यदि इसमें सूर्य भी साथ हो जाए तो ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। वह एक जगह स्थित नहीं बैठता है, बारापनी जोब और स्थान में बदलाव करता ही रहता है। ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे भी पड़ते हैं।
निदान : अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग बनते हैं तो आपको सूर्य की अराधना करनी चाहिए, ताकि ग्रहण योग का प्रभाव कम से कम हो जाए।
3. गुरू चांडाल योग : जिस जातक की कुंडली में गुरू के साथ राहु भी उपस्थित होता है उसकी कुंडली में चांडाल योग बनता है। इस योग को गुरू चांडाल योग भी कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। अगर आप भी इस योग की चपेट में हैं तो आपको गुरू की अराधना करनी चाहिए, उसे मजबूत करने के उपाय करने चाहिए।
4. कुज (मंगलदोष) योग : मंगल जिसे क्षत्रीय ग्रह माना जाता है, जब कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या बारहवें भाव में हो तो यह कुज योग बनाता है। सामान्य भाषा में इसे मंगल दोष भी कहा जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसका विवाहित जीवन कष्टप्रद हो जाता है। मंगल दोष
इसलिए विवाह पूर्व वर-वधु की कुंडली अवश्य मिलवा लेनी चाहिए। मंगल दोष निदान के लिए पीपल और वट वृक्ष पर नियमित तौर पर जल चढ़ाना चाहिए।
5. षडयंत्र योग : यदि कुंडली का लग्नेश आठवें घर में विराजमान हो और उसके साथ कोई भी शुभ ग्रह ना बैठा हो तो यह षडयंत्र योग बनता है। यह योग बहुत खराब माना गया है क्योंकि जो भी जातक इस योग की चपेट में आता है उसे किसी करीबी व्यक्ति के षड्यंत्र का सामना करना पड़ता है।
उसके साथ धोखेबाजी होती है और अपना ही कोई व्यक्ति उसे बड़ी मुसीबत में फंसा देता है। दोष को शांत करना : इस दोष को शांत करने के लिए भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर जल और आक के फूल चढ़ाने चाहिए।
6. भाव नाश योग : जन्मकुंडली में जब किसी भी भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर जाकर बैठ जाता है तो वह उस भाव के सभी प्रभावों को नष्ट कर देता है। कुंडली में जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है उससे संबंधित दिन यानि वार को पवनपुत्र हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए और साथ ही संबंधित ग्रह के रत्न पहनकर भी उसका प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।
7. अल्पायु योग : चंद्रमा पाप ग्रहों से युति कर और साथ ही उसकी बैठक छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर हो या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा व्यक्ति निश्चित तौर पर अल्पायु होता है। उसके जीवन पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। इस योग के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को महामृत्युंजय का जाप करते रहना चाहिए।
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पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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