नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण (Bank Privatisation) को लेकर सरकार बैंक कर्मचारियों और विपक्ष की लगातार आलोचना झेल रही है। इस निजीकरण के विरोध में सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की आज दो दिवसीय हड़ताल का आखिरी दिन है। इस विरोध के बावजूद सरकार क्यों अपने फैसले पर अडिग है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के फैसले के पीछे क्या वजह है, इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने डिटेल में बताया है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की जानकारी जब वित्त मंत्री प्रेस कांफ्रेंस में दे रही थीं, उस वक्त उनसे सवाल पूछा गया कि आखिर सरकार सरकारी बैंकों का निजीकरण क्यों कर रही है, इसके जवाब में वित्त मंत्री सीतामरण ने जवाब दिया कि देश में कुछ बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ ठीक-ठाक काम कर रहे हैं लेकिन कुछ बैंक ऐसे भी हैं, जो संकटग्रस्त हैं और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो उच्च स्तर के हों। बैंकों का मर्जर भी इसलिए किया जा रहा है ताकि बड़े बैंक निकलें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें।
सभी सरकारी बैंकों का नहीं हो रहा निजीकरण
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में भी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की मौजूदगी है और रहेगी। सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है। केवल उन बैंकों की पहचान की गई है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पूंजी नहीं जुटा पा रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन बैंकों के प्राइवेटाइज होने की संभावना है, उनके साथ हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे काम करते रहें और कर्मचारी और ग्राहकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए। हम उन्हें इसलिए प्राइवेटाइज कर रहे हैं ताकि वे मजबूत हो सकें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्हें इक्विटी हासिल हो सके।
कर्मचारियों के हितों का रखा जाएगा पूरा ध्यान
सीतारमण ने कहा कि हर बैंक बिक रहा है और प्राइवेट बन जाएगा, यह मान लेना सही नहीं है। सालों से इन बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उनकी सैलरी, स्केल, पेंशन सभी चीजों का ध्यान रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सेक्टर चाहे कोई भी हो, विनिवेश वाली हर यूनिट के साथ इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि वे इकोनॉमी में सहयोग कर सकें। संकटग्रस्त यूनिट्स मजबूत होकर काम जारी रख सकें, उनमें पैसा आ सके। वे मजबूत हो सकें, इसलिए उनमें प्राइवेट सेक्टर का निवेश खोला जा रहा है।