श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’, खड़गपुर । क्या आप जानते थे कि फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में मोगाम्बो की भूमिका के लिए अनुपम खेर ने भी आडीशन दिया था, पर मोगाम्बो की भूमिका अमरीश पुरी को मिली। मिस्टर इंडिया देखने के बाद अनुपम खेर ने भी स्वीकारा कि वो मोगाम्बो की भूमिका अमरीश पुरी जितनी बढ़िया निभा नहीं सकते थे। खैर, आज का किस्सा ये नहीं है। किस्सा ये है कि संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल फिल्म ‘दोस्ती’ के संगीतकार कैसे बने और इस फिल्म के वो दो कौन से गाने थे जिसमें संगीतकार राहुलदेव बर्मन ने माउथ आर्गन बजाई थी।
निर्माता ताराचंद बड़जात्या ने जब फिल्म ‘दोस्ती’ बनाने की योजना बनाई तो फिल्म में संगीत देने के लिए संगीतकार रोशन के पास गए। रोशन इससे पहले ताराचंद बड़जात्या की एक फिल्म ‘आरती’ में संगीत दे चुके थे। लेकिन ‘दोस्ती’ की कहानी सुनकर उन्हें लगा कि जिस फिल्म में कोई अभिनेता-अभिनेत्री न हो। कहानी दो दोस्तों की है, जिसमें एक अंधा है दूसरा लंगड़ा। ऐसे में संगीत की कितनी गुंजाइश हो सकती है। यह सोचकर रोशन ने फिल्म में संगीत देने से इंकार कर दिया। इसके अलावा उन दिनों के और एक-दो नामी संगीतकारों ने भी फिल्म करने से मना कर दिया।
फिर संगीतकार चित्रगुप्त ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का नाम सुझाया। उनका नाम सुनकर मोहम्मद रफ़ी ने भी ताराचंद बड़जात्या को भरोसा दिलाया कि ये दोनों बढ़िया काम कर रहे हैं। आप उन पर भरोसा कर सकते हैं। इस तरह लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को पहली बार बड़े बैनर में संगीत देने का मौका मिला। यह उनकी छठी फिल्म थी। इससे पहले वे अब तक पांच छोटी-छोटी फिल्मों में संगीत दे चुके थे। इस तरह उस समय के दिग्गज संगीतकारों द्वारा नकारे गए फिल्म ‘दोस्ती’ में संगीत देकर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपने हुनर का जलवा दिखाकर फिल्मी दुनिया में अपनी मजबूत स्थिति की बुनियाद रखी।
यहां बताना दिलचस्प होगा कि इस समय तक प्रख्यात संगीतकार राहुल देव बर्मन संगीतकार बने नहीं थे। उनकी लक्ष्मीप्यारे से अच्छी बनती थी। इसलिए उन्होंने ‘दोस्ती’ फिल्म के दो गानों – जाने वालो जरा मुड़ के देखो मुझे…, राही मनवा दुख की चिंता क्यूं सताती है.., में माउथ आर्गन बजाकर गानों को सुमधुर और आकर्षक बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। बताना प्रासंगिक होगा कि ‘दोस्ती’ ने कुल 6 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते। इस फिल्म के लिए गाया गाना ‘चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे…’ के लिए मोहम्मद रफ़ी को श्रेष्ठ गायक और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को श्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस तरह इस जोड़ी ने सन् 1963 से 1998 तक कुल 635 फिल्मों में संगीत दिया। (कहीं-कहीं यह आंकड़ा 750 फिल्मों का भी लिखा मिलता है।) इन फिल्मों के अनगिनत गाने इतने मधुर और कर्णप्रिय हैं जो आज भी श्रोताओं की मनपसंद बने हुए हैं। लोग आज भी उन गानों को गाते-गुनगुनाते हैं।