प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा- देश दुनियां में भक्तों का उत्साह चरम पर
प्रभु श्री राम का चरित्र त्रेतायुग से लेकर आज के मानवों के लिए समान रूप से प्रेरणाप्रद है, इसलिए प्रभु श्री राम भारत की आत्मा, प्राण, उपास्य हैं- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी 2024 को एक अलौकिक विश्व दिवस के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जिस प्रकार की तैयारीयों के जोश का उत्साह देश और दुनियां के भक्तों में चरम पर है उसे देखकर हर कोई हैरान है कि, क्या हम 22 जनवरी 2024 प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से कलयुग से त्रेतायुग की और जा रहे हैं, क्योंकि विश्व के कोने-कोने से भक्तगण, वीवीआईपी, नेता, मंत्री, महापुरुष, युगपुरुष सहित 7000 से अधिक अतिथियों को निमंत्रण पत्र दिए गए हैं और जिस तरह का माहौल हर दिन के बीतते हुए दूसरे दिन पर पहुंचने के साथ मानवो, भक्तों का उत्साह चरम पर पहुंच रहा है उसे देखकर अच्छे अच्छों को हैरानी हो रही है।
मैं 15 जनवरी 2024 को देर रात एक टीवी चैनल पर संत मुरारी बापू से के साथ किया गया एक इंटरव्यू देखा। जिसमें संत श्री ने कहा मैं 80 वर्ष की उम्र में अभी तक ऐसा क्षण प्रभु श्री राम के प्रति नहीं देखा जो आज कुछ दिनों से देख रहा हूं। उन्होंने कहा निश्चित रूप से हम अब कलयुग से त्रेता युग की ओर जा रहे हैं। यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई आगे उन्होंने कहा 24 जनवरी से 1 मार्च 2024 तक उन्हें अयोध्या में राम कथा के लिए समिति प्रमुख ने खुद आमंत्रित किया है। बता दें कि युगों की अभी चार श्रेणियां है सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और अभी जो चल रहा है वह कलयुग है।
आलेख के साथ संलग्न इमेज में तस्वीरों के साथ इन चारों युगों में मानवीय श्रेणी को समझाया गया है। अयोध्या में विराजने वाले प्रभु श्री राम निर्बलों के बल ही नहीं, आराध्या और आदर्श भी हैं। श्री राम का चरित्र त्रेता युग से लेकर आज के मानव के लिए समान रूप से प्रेरणाप्रद है, इसीलिए तो प्रभु श्री राम भारत की आत्मा प्राण और उपास्य हैं। हमें प्रभु श्री राम का त्रेता युग के रामचरितमानस एवं श्री भागवत गीता सहित सभी धर्म ग्रंथो में भगवान के अवतार का उल्लेख मिलता है। जब जब धर्म की हानि होती है पृथ्वी पर अनाचार बढ़ता है, तब तब कोई दिव्य शक्ति प्रकट होती है और धर्म अनुसार विधिक जीवन जीने के लिए उद्यम करती है।
हमें ग्रंथों की इस उद्घोषणा को समाज की सबसे छोटी इकाई के रूप में हर मनुष्य अपने ही जीवन काल को सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलयुग के दायरे में लेकर उस पर गहरी नजर डाले तो, सभी युगों में धर्म पूर्ण जीवन के दुष्यंत तथा अवतार की अवधारणा बहुत अधिक स्पष्ट हो जाएगी। चूंकि 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे। 22 जनवरी 2024 से अब सतयुग से त्रेता युग की ओर चलें। यह आर्टिकल मान्यताओं पर और मीडिया में उपलब्ध जानकारी पर आधारित है इसकी सटीकता की गारंटी नहीं है।
साथियों बात अगर हम त्रेतायुग थीम पर सज रही अयोध्या नगरी की करें तो, 22जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी हैं। अयोध्या भगवान राम की पावन जन्मस्थली के रूप में हिन्दू धर्मावलम्बियों के आस्था का केंद्र है। यही वजह है कि राम मंदिर की उद्घाटन के लिए अयोध्या नगरी को भव्य रूप दिया जा रहा है। इसी कड़ी में सामने आई है जानकारी के अनुसार राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है।
श्रीराम के काल में त्रेतायुग कैसा था? श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। अयोध्या की चौक चौराहे से लेकर मठ मंदिर सड़क सबको लाइट से जगमग किया जा रहा है। सड़कों के किनारे लग रहे सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं। महायज्ञ के लिए 1008 कुंड बनाए गए हैं। राम लला की प्रतिष्ठा के दिन दीपों से पूरी अयोध्या रौशन होगी।
ये बिल्कुल वैसे ही होगा जब श्रीराम चंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अपनी नगरी लौटे थे, तब उनका स्वागत किया गया था। राम मंदिर के दरवाजों को सोने से जड़ा जाएगा और इनपर खूबसूरत नक्काशीदार डिजायन की गई है। इन दरवाजों पर वैभव का प्रतीक गज यानी हाथी, सुंदर विष्णु कमल, स्वागत मुद्रा में देवी प्रतिमाएं चित्रित की गई हैं। मंदिर को नागर शैली पर बनाया गया है, जिसमें लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
जलेसर में अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर के लिए बनाया गया घंटा अयोध्या पहुंच चुका है। 2400 किलो वजन का घंटा अष्टधातु से निर्मित है। घंटा अष्टधातु का है,जिसमें पीतल, कांस्य, तांबा, एल्मूनियम, लोहा, स्वर्ण, चांदी और जस्ता शामिल हैं। एक निश्चित मात्रा में इन अष्टधातुओं का उपयोग किया गया है। तो वहीं हनुमान गढ़ी का लड्डू सदियों से प्रसिद्ध है। इस लड्डू को लोग दूर-दूर तक खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं। हनुमानगढ़ी लड्डू से जुड़ी खासियत यह है कि इसे बनाने के अलग-अलग तरीके हैं लेकिन यह हर किसी को पसंद आता है।
साथियों बात अगर हम त्रेता युग की करें तो, त्रेतायुग कैसा था? शास्त्रों में चार युग वर्णन है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। जब त्रेतायुग का आरंभ सतयुग की समाप्ति के बाद हुआ, इसे सनातन धर्म का दूसरा युग माना जाता है। त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष का था। त्रेतायुग में धर्म और कर्म का पालन किया जाता था। त्रेतायुग में अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने तीन अवतार लिए थे, वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार। त्रेतायुग में श्रीराम अपने भव्य महल में माता सीता और पूरे परिवार संग रहते थे।
नए राम मंदिर को भी भव्य रूप दिया जा रहा है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर दुर्लभ चित्र उकेरे गए हैं जो रामायण काल और त्रेता युग की झलक दिखाएंगे। युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है। जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। तो क्या यह सही है या कि युग की धारणा कुछ और ही है? उल्लेखनीय है कि हमनें सुना ही होगा मध्ययुग, आधुनिक युग, वर्तमान युग जैसे अन्य शब्दों को। इसका मतलब यह कि युग शब्द को कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता रहा है।
साथियों बात अगर हम देश विदेश में भक्तों का उत्साह चरम पर होने की करें तो, राम मंदिर उद्घाटन के लिए पूरी अयोध्या नगरी ही नहीं देश-विदेश में भी धार्मिक स्थलों पर तैयारी चल रही है। 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 5 लाख मंदिरों में एलईडी के माध्यम से सीधा प्रसारण दिखाया जाएगा, ताकि बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक इस ऐतिहासिक पल को साक्षी बन सकें। विदेशों में भी रामलला की प्रतिष्ठा का उत्सव भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मॉरीशस, आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी देशों के मंदिरों और अन्य स्थल पर बड़े पैमाने पर राम लला का कार्यक्रमों का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। न्यूयॉर्क शहर में प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर श्रीराम मंदिर का उद्घाटन दिखेगा। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर पूरी दुनियां की निगाहे हैं। दुनिया भर में फैले हिंदू आस्था वाले लोग इस दिव्य और भव्य कार्यक्रम का उत्सव मनाएंगे।
इसी बीच मॉरीशस की सरकार ने एक अहम घोषणा की है, इसके तहत मॉरीशस में 22 जनवरी को हिंदू आस्था वाले अधिकारियों को 2 घंटे की स्पेशल छुट्टी देने की घोषणा की गई है। इस दौरान वह राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर होने वाले स्थानीय कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे। मॉरीशस के पीएम के नेतृत्व में मॉरीशस कैबिनेट ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया। जिसमें कहा गया है कि कैबिनेट ने सोमवार 22 जनवरी 2024 को दोपहर 2 बजे से दो घंटे की विशेष छुट्टी देने पर सहमति व्यक्त की है।
भारत में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर ये फैसला लिया गया है, लिहाजा हिंदू आस्था के सार्वजनिक अधिकारी 22 जनवरी को 2 घंटे की स्पेशल छुट्टी पर रहेंगे। बयान में इस बात का भी जिक्र है कि यह ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह अयोध्या में भगवान राम की वापसी का प्रतीक है। बता दें कि पीएम 22 जनवरी को भव्य मंदिर के गर्भगृह में श्री राम लला की मूर्ति की स्थापना करेंगे। भव्य मंदिर के उद्घाटन के लिए कई नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया गया है। मंदिर के अधिकारियों के अनुसार यह समारोह 16 जनवरी से शुरू होकर 7 दिनों तक चलेगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अयोध्या 22 जनवरी 2024 से कलयुग से त्रेता युग की ओर। प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा, देश दुनियां में भक्तों का उत्साह चरम पर। प्रभु श्री राम का चरित्र त्रेता युग से लेकर आज के मानवों के लिए समान रूप से प्रेरणाप्रद है, इसलिए प्रभु श्री राम भारत की आत्मा, प्राण, उपास्य हैं।
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